अक्टूबर तक ओंमप्रकाश राजभर बनायेंगे नया गठबंधन

लखनऊ -ओमप्रकाश राजभर के मुताबिक उन्होंने भाजपा नेतृत्व को बता दिया है कि सपा-बसपा गठबंधन की एकमात्र काट पिछड़ी जातियों के आरक्षण में बंटवारा है। पिछड़े वर्ग के आरक्षण को तीन हिस्सों में बांटकर ही 2019 की जंग जीती जा सकती है। बकौल राजभर, भाजपा नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव से छह माह पूर्व यानी अक्टूबर तक इस बंटवारे पर फैसला लेने का भरोसा दिया है। इसलिए वह अक्टूबर तक इंतजार करेंगे। राजभर का कहना है कि प्रदेश में 54 फीसदी आबादी पिछड़ी जातियों की है। जिन्हें 27 फीसदी आरक्षण मिलता है। आरक्षण में बंटवारे का प्रदेश सरकार को जो फार्मूला दिया है उसमें पिछड़ी जाति में 04 जातियां, अति पिछड़ी में 16 जातियां और सर्वाधिक पिछड़ी में 59 जातियां शामिल हैं।

54 फीसदी पिछड़ी जातियों में उनके बंटवारे के मुताबिक चार पिछड़ी जातियां 31 फीसदी, 16 अति पिछड़ी जातियां 26 फीसदी और 59 सर्वाधिक पिछड़ी जातियां करीब 38 फीसदी हैं। राजभर का कहना है कि पिछड़ी जातियों के आरक्षण का अधिकाधिक लाभ चार पिछड़ी जातियां जिनमें यादव, कुर्मी, जाट व सुनार हैं, ले जाते हैं। अति पिछड़ी और सर्वाधिक पिछड़ी जातियों के लोग उपेक्षित हैं। देश के कई राज्यों में पिछड़ी जातियों के आरक्षण में बंटवारा है, उत्तर प्रदेश में भी इसे लागू करना अनिवार्य है।

भाजपा से अलग होने पर ओम प्रकाश राजभर पिछड़ी जातियों की राजनीति करने वाले छह छोटे दलों को इकट्ठा करेंगे। इस मुद्दे पर संबंधित दलों के नेताओं से उनकी बातचीत जारी है। राजभर के मुताबिक, वह बाबू सिंह कुशवाहा, शिव शंकर चौहान, प्रेमचंद्र प्रजापति, जय प्रकाश निषाद, विश्वामित्र पाल और कृष्णा पटेल के दल को जोड़कर नया मंच बनाएंगे। इन लोगों को जोड़ने के बाद प्रदेश की 40 से अधिक सीटों पर उनका गठबंधन मजबूत दावा पेश करेगा। गठबंधन की शर्तों को जो बड़े दल मानेंगे उसके साथ 2019 के चुनाव में जाएंगे।

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