कालीन बुनकर से बजरंगी के डाँन बनने तक की कहानी
जौनपुर जिले के सुरेरी थाना के पूरे दयाल गांव में 1967 में पैदा हुआ मुन्ना बजरंगी शुरू से ही मनबढ किस्म का था । बड़ा बनने की चाहत उसमें बचपन से ही थी । पांचवी कक्षा के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी और जमालापुर में एक कालीन व्यवसाई के यहां गलीचा बुनने का काम करने लगा। मुन्ना ने 1982 में पहली वारदात को अंजाम दिया गोपालपुर बाजार में गोली मारकर छिनैती की । 1984 में पहली बार रामपुर थाना क्षेत्र के भदोही के कालीन व्यवसाय भुल्लन जायसवाल को लूटने के लिए इमलिया घाट पर गोली मार दी थी। इलाज के दौरान भुल्लन जयसवाल की मौत हो गई। इसमें मुन्ना और उसके मौसी का लड़का ओमप्रकाश सिंह आरोपित हुए लेकिन गवाह के अभाव में दोनों बरी हो गए। उस समय के दबंग विनोद सिंह नाटे से मुन्ना बजरंगी की दोस्ती हुई, दोस्ती के खातिर बजरंगी ने बदलापुर पड़ाव पर पलक धारी पहलवान की हत्या कर दी। इसके बाद जिला जेल के पास 29 अप्रैल 1993 को भुतहा निवासी भाजपा नेता रामचंद्र सिंह ,भानु सिंह और उनके गनर की हत्या कर दी। यह मुन्ना बजरंगी की दूसरी बड़ी वारदात थी । मुन्ना बजरंगी अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगा था इसी बीच उसके दूर के रिश्तेदार और जिले के दबंग गजराज सिंह का उसे संरक्षण मिला । मुन्ना अब उनके लिए काम करने लगा उसने रामपुर थाना क्षेत्र के जमालापुर में तिहरे हत्याकांड को अंजाम दिया। इसमें एके-47 का इस्तेमाल किया गया । इस घटना में तत्कालीन ब्लाक प्रमुख कैलाश दुबे उनके सहयोगी राजकुमार सिंह टीडी कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष और अमीन बांकेलाल तिवारी गोलियों के शिकार हुए। इस घटना के बाद बजरंगी के नाम का डंका बजने लगा। वाराणसी के राजेंद्र सिंह ,बडे सिंह की एके-47 से हत्या किया। काशी विद्यापीठ छात्रसंघ के निर्वाचित अध्यक्ष राम प्रकाश पांडे, सुनील राय , भोनू मल्लाह की हत्या में भी बजरंगी का नाम आया । दोबारा मुख्तार अंसारी के संपर्क में आकर मुन्ना बजरंगी ने अपने साथियों के साथ तत्कालीन विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी । चार भाइयों में सबसे बड़ा मुन्ना बजरंगी जिले के मडियाहूं तहसील के सुरेरी थाना क्षेत्र के पूरे दयाल गांव निवासी पारसनाथ सिंह के चार वेटों में मुन्ना बजरंगी सबसे बड़ा था, दूसरे नंबर पर राजेश सिंह MTNL मुंबई में नौकरी करते हैं । तीसरा भाई राकेश सिंह उर्फ गुप्ता की बीमारी से मौत हो चुकी है । सबसे छोटा भाई भुवाल सिंह उर्फ़ गुड्डू है इसकी पत्नी निकिता सिह रामपुर ब्लॉक की प्रमुख रह चूकी है।
मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह अपनी बड़ी बेटी सिमरन आयु 19 वर्ष और 14 वर्षीय बेटा समीर सिंह के साथ लखनऊ में रहती हैं । गांव में घर पर सिर्फ एक भतीजा सूरज सिंह रहता है बजरंगी की हत्या की सूचना पाते ही वह भी बागपत के लिए रवाना हो गया। पिता पारसनाथ सिंह की इच्छा थी कि बड़ा बेटा कोई अधिकारी बने लेकिन उनकी भावनाओं के विपरीत प्रेम प्रकाश सिंह ने जुर्म की दुनिया का रास्ता चुना और प्रेम प्रकाश सिंह से मुन्ना बजरंगी बन बैठा। माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी को शुरू से ही ग्लैमर भरी दुनिया पसंद थी। वह राजनीति में भी अपने आप को स्थापित करना चाहता था उसे मालूम था कि जरायम की दुनिया से राजनीति में पहुंचना आसान होता है । मुन्ना बजरंगी ने कांग्रेस का दामन थामा वह कांग्रेस के कद्दावर नेता की शरण में चला गया उनका चुनाव में बकायदे सपोर्ट भी किया था। बाद में अपने मूल निवास मड़ियाहूं क्षेत्र को राजनीति का अड्डा बनाया वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में मड़ियाहूं से निर्दल प्रत्यासी के रुप में चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा 2017 के विधानसभा चुनाव में पत्नी सीमा सिंह को अपना दल( कृष्णा पटेल) से चुनाव मैदान में उतारा लेकिन वह चौथे स्थान पर रही। दोस्तों की खातिर दूसरों का खून बहाने वाला मुन्ना बजरंगी मौजूदा समय में कुछ भ्रमित सा हो गया था वह अपने पुराने साथियों को कम नए लोगों का ज्यादा विश्वास करता था। यही वजह है कि बजरंगी की मौत के बाद उसके हर पुराने साथी ने कहा यह तो होना ही था, क्योंकि जितने पुराने साथी थे मुन्ना बजरंगी ने उन्हें ही परेशान कर दिया था । यहां तक कि मुन्ना के नाम से अपना एक अलग नेटवर्क भी बना लिया था । पुराने साथियों ने किनारा कर लिया था वैसे आज भले ही लोग कुछ कहें लेकिन मुन्ना बजरंगी के नाम पर पूरे पूर्वांचल में कमाई करने वाले सैकड़ों लोग हैं जिसमें कुछ सफेदपोश लोग तो कुछ आम लोग भी हैं ।