गाजीपुर- अनन्या जो सबको रूला कर गयी
गाजीपुर – 27 अक्टूबर 2011 को अष्टभुजी कॉलोनी निवासी जीवन बीमा अभिकर्ता भीम सिंह के सुपुत्र शशिकांत सिंह गुड्डू की धर्मपत्नी ने एक कन्या रत्न को जन्म दिया। जिसका नाम बड़े प्यार से मां और पिता ने अनन्या सिंह रखा गया।अनन्या सिंह खेलते कूदते जब कुछ बड़ी हुई तो पता चला की अनन्या को ब्लड कैंसर है। यह पता चलते ही पूरे परिवार को सांप सूंघ गया।इस जानकारी के बाद दादा भीम सिंह और पिता शशिकांत सिंह गुड्डू ने अनन्या के उपचार के लिए जमीन आसमान एक कर दिया। अनन्या के पिता शशिकांत सिंह गुड्डू ने तमाम विधायकों, विधान परिषद सदस्यों, सांसदों, सहृदय लोगों सहित मुख्यमंत्री कोष, प्रधानमंत्री कोष से आर्थिक सहायता लेकर अनन्या का तन्मयता से उपचार कराया, यहां तक की अनन्या के उपचार के लिए दादा भीम सिंह ने अपनी पैतृक संपत्ति (जमीन) के भी कुछ हिस्से को बेच दिया। इतने प्रयास के बाद भी अनन्या इस नश्वरलोक से 1 अप्रैल 2023 को लखनऊ उपचार के दौरान सदा सदा के लिए विदा हो गई।अपनी प्रिय पुत्री की मृत्यु से शोकाकुल पिता शशिकांत सिंह गुड्डू ने अनन्या के स्मृतियों को सहेजे रखने के लिए अनन्या सेवा ट्रस्ट नमक एक संस्थान का पंजीकरण कराया और उसके माध्यम से तमाम समाजसेवियों,दान दाताओं के सहयोग से प्रत्येक बुधवार की रात्रि गाजीपुर सीटी रेलवे स्टेशन पर सैकड़ो भूखे प्यासे लोगों को भोजन करने का पुनित कार्य करते हैं। इस संदर्भ में शशिकांत सिंह के साथ समाजसेवियों की एक मजबूत टीम है जो उनके इस पुनीत कार्य में तन से,मन से और धन से सहयोग करती है। शशिकांत सिंह गुड्डू की दिली इच्छा है कि जिस रोग से पीड़ित होकर मेरी पुत्री अनन्या इस नश्वरलोक को छोड़कर चली गई, उस रोग के उपचार के लिए स्थानीय स्तर( गाजीपुर )पर भी एक कैंसर अस्पताल की स्थापना हो। उनका यह विजन/सपना बहुत बड़ा है लेकिन फिर भी उन्होंने अपने इस विजन की पूर्ति के लिए रात दिन प्रयासरत है। इसी 27 अक्टूबर को अनन्या की जयंती है और अनन्या की जयंती को भव्य रूप देने के लिए अनन्या सेवा ट्रस्ट के कार्यकर्ता ,प्रत्यक्ष , परोक्ष रूप से जूडे हुए लोग दिन-रात जुटे हुए हैं। आज भी अनन्या के दादा, दादी , मां,पिता के दिल से अनन्या की स्मृतियों का लोप नहीं हुआ है। अनन्या की स्मृतियों को लेकर अनन्या को जानने वालो के मन में बस एक ही भाव है “अनन्या तूं न गयी मेरे मन से”