ग़ाज़ीपुर

गाजीपुर – अन्दर ही अन्दर घुटते भाजपा कार्यकर्ता

गाजीपुर- तमाम राजनैतिक दालों के ऐसे भी नेता है जिन लोगों ने ईडी, सीबीआई, आईटी और पुलिस के भय से अपने पुराने राजनैतिक दल से नाता तोड़कर भारतीय जनता पार्टी के सदस्यता की चादर अपनी सुरक्षा के लिए और ओढ़ लिया है, लेकिन स्थानीय स्तर के भाजपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी उनका अपने दल में आगमन को पचा नहीं पा रहे। क्योंकि ऐसे दलबदलू  लोग लखनऊ, दिल्ली, भोपाल, पटना जैसे देश या प्रदेश के मुख्यालयों में जाकर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण किया है ।इसलिए स्थानीय स्तर का भाजपा कार्य करता और पदाधिकारी अंदर ही अंदर घुटन महसूस कर रहा है, लेकिन वह अपने घुटन और आक्रोश को खुलकर व्यक्त भी नहीं कर पा रहा है।स्थानीय स्तर का भाजपा कार्यकर्ता यह अच्छी तरह से जानता है कि यदि उसने खुलकर विरोध किया तो पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में दल से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।वह यह भी अच्छी तरह से जानता है कि दलबदलू नेता यह नेता समय और परिस्थितियों के हिसाब से गिरगिट की तरह रंग बदलने में माहिर हैं। दूसरे दलों में रहते समय इन प्रवासी नये नवेले बने भाजपाइयों ने भाजपा के नेताओं और भाजपा की नीतियों की खुलेआम जनसभाओं में तथा मीडिया में आलोचना किया है। कहीं ना कहीं इन प्रवासीय नेताओं को लेकर स्थानीय स्तर का भाजपा कार्यकर्ता नाखुश तो है लेकिन अपनी ना खुशी का खुलकर कर इजहार भी नहीं कर पा रहा है। कहीं ना कहीं भाजपा की लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में हर का एक कारण के प्रवासी नवीन भाजपाई तो नहीं है ? भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय और प्रांतीय नेतृत्व को अपने पुराने स्थानीय कार्यकर्ताओं की भावनाओं को भी टटोलना चाहिए लेकिन स्थानीय नेताओं की सुनने वाला और उनके सुझाव पर अमल करने वाला कौन है ? सायद कोई नही।(यह लेखक के अपने विचार हैं, आपको इससे सहमत या असहमत होने का पूरा अधिकार है)