गाजीपुर- इस बिभाग के भ्रष्टाचारी सीना तान कर चलते है-गाजीपुर टुड़े

गाजीपुर- भ्रष्टाचार में बेमिसाल गाजीपुर के महिला एवं बाल विकास विभाग में वर्ष 2018 में एक घोटाला प्रकाश में आया था। उस घोटाले की जांच के लिए दिलदारनगर के पूर्व विधायक सिंहासन सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से व्यक्तिगत मिलकर इस घोटाले की जांच के लिए निवेदन करने के साथ-साथ कमिश्नर वाराणसी एवं जिलाधिकारी गाजीपुर को भी पत्र दिया था । पूर्व विधायक के शिकायत पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने गाजीपुर के जिलाधिकारी को घोटाले की जांच हेतु निर्देशित किया।गाजीपुर के जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी ,जिला विकास अधिकारी, एआरटीओ तथा वरिष्ठ कोषाधिकारी की एक जांच समिति गठित की थी। उस जांच समिति ने जब घोटाले की जांच की तो उस घोटाले में तत्कालीन प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी , तीन सीडीपीओ और जिला कार्यालय में एक बाबू दोषी पाया गया ।इस मामले के खिलाफ जिलाधिकारी गाजीपुर ने शासन ताथ निदेशालय को जांच समिति की रिपोर्ट के निष्कर्ष के साथ दोषियों के खिलाफ उचित वैधानिक कार्यवाही करने हेतु पत्र प्रेषित कर दिया। इस पत्र तथा जांच रिपोर्ट को शासन के पहुंचने के बाद तत्कालीन प्रभारी कार्यक्रम अधिकारी ने पहुंच और पैसे का इस्तेमाल करते हुए मामले को दबाते हुए तथा अपने को निलंबन से बचाते हुए चंदौली जनपद में स्थानांतरण करा लिया, लेकिन हद तो तब हो गयी जब तीनो भ्रष्ट सीडीपीओ और भ्रष्टाचार में डूबा करोड़पति बाबू आज भी अपने विभाग में सीना तान के चल रहे हैं। इस संदर्भ में पुर्व विधायक सिंहासन सिंह से जब गाजीपुर टुडे की वार्ता हुई तो उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में आचार संहिता लागू है अतः इस मामले पर कोई भी पहल करना बेमानी होगा ।आचार संहिता खत्म हो जाने के बाद मैं खुद माननीय मुख्यमंत्री जी से मिलकर अन्य दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने का आग्रह करूंगा ।वर्ष 2018 में दिलदारनगर के पूर्व विधायक सिंहासन सिंह के संज्ञान में आया कि विभाग ने जमानियाँ, भदौरा ,भांवरकोल, सैदपुर, कासिमाबाद और मोहम्मदाबाद के सीडीपीओ को चलने के लिए लग्जरी वाहनों को किराए पर ले रखा है , लेकिन इन परियोजनाओं की सीडीपीओ को इन लग्जरी वाहनों में बैठने की तो बात दूर कभी देखना भी नसीब नहीं हुआ। उन्होंने जब इस बात की शिकायत की और शिकायत पर जब जांच हुई तो पता चला कि विभाग ने फर्जी तरीके से कागजों में गाड़ीयों को चलवाने का प्रति माह किराया ,गाड़ी में डीजल भरने का खर्च तथा ड्राइवर का वेतन भी फर्जी तरीके से आहरित किया है। आरोप प्रमाणित होने पर तत्कालीन प्रभारी सीडीपीओ अमरनाथ मौर्या सहित तीन सीडीपीओ और एक बाबू 7 लाख 32 हजार 472 रूपये गबन के दोषी पाये गये। प्रभारी डीपीओ अमरनाथ मौर्या तो गैर जनपद चले गये लेकिन बाकी भ्रष्टाचारी आज भी मस्त हो कर गा रहे है ” हमार कोई का करिहं “