गाजीपुर-एक अजीब सा जूनून इस टीम में है

गाजीपुर-आज 53 वां दिन एक अजीब सा जुनून इस “टीम ” में है जो वास्तव में एक क्रिकेट के मैदान से निकल समाजसेवा में एक जबरदस्त व्यक्तित्व और मिशाल पेश करने वाले युवा जिन्हें धन्यवाद या साधुवाद कह कर बेईमानी सी लगेगी ये 6 लोगो की टीम पूरे गाजीपुर में एक मिशाल रूप में बन चुकी है हर लोगो की जुबान पे इन युवाओं की वीरगाथा है जिस समय लोग घरों में आराम कर रहे थे यहाँ तक कि सारे राजनेता सभी पार्टियों के कोई किताब पढ़ रहा था ढेर सारे लोग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की फालतू की तस्वीर जनता की लुभावने फालतू से वादे सारे लोग कर रहे थे पकवान और घर में रह कर रामायण और महाभारत देख रहे थे उसी समय ये पागल युवा ही कहा जा सकता है जिन्हें देशभक्ति का जुनून और मातृभूमि से प्यार हो जाता है और वो जिद्दी इन्हें अपनी मातृभूमि को कुछ दे कर जाना चाहते है उन्हें लोग पागलो की संज्ञा से ही पहचान करते है।आज 53 दिनों से ये टीम अनवरत बिना आराम बिना एक भी दिन छुट्टी लिए हर जगह को सेनेटाइजेशन करने का काम किये हम मीडिया वाले प्रभावित है इस निशान्त नाम के शक्स से जो अजीब और दुलभ इंसान और इंसानियत है इस शख्स में आज “टीम निशान्त” के मुखिया से बात चीत में उन्होंने बताया कि हम सभी सदस्य एक ही है विदु मोहित,छत्रसाल,विकास,अंकित,सतेंद्र,बबलू ये सभी लोगो का जबरदस्त योगदान रहा सभी अपनी फील्ड के मास्टर है ये मुझे साबित नही करना है,मुझे गर्व है अपने हर योद्धा ले आज जो सबसे जरूरी है इस वैश्विक महामारी कोविड-19 से इंसानी जिंदगियो को बचाने की मेरी और मेरी टीम की यथा सामर्थ प्रयास यही रहेगा कि अपना ज्यादे से ज्यादे योगदान दिया जा सके समाज के हर वर्ग को आज इन बातों में राजनीत नही होनी चाहिए बंधुवर वक्त आएगा उसपे भी चर्चा होगी आज कुछ प्रभावशाली काम जो मेरी आत्मा मेरे वजूद के लिए जरूरत है वो तो कर लेने दीजिये हमसे प्रॉब्लम सिर्फ जो लेबल लगाए समाजसेवी है उन्हें है राजनेताओं और अपनी ही पार्टियों के लोगो को है कोई फर्क मुझे नही पड़ता कि किसे क्या फर्क पड़ता मुझे पता है मेरी जरूरत आज कहा और किसे है।मैं पागल नही हूँ जो परिवार को आज 38 दिनों से दूर रख कर दूर से मिलता हूं मेरा भी परिवार है बीबी और 3 छोटे बच्चे है बीबी और छोटे बच्चे को इन्फ़ेक्सन से बचाना है मेरे पिता मेरे भाई सबको बचाना है पूरे खानदान से ताने और आलोचना सुन कर उनकी सेवा में हूँ जिन्हें मैं जानता भी नही वस एक जुनून और सुकून के लिए आगे भी ये संघर्ष चलता रहेगा।एक लंबी बातचीत में ये आंकलन कर पाना की क्या गलत क्या सही नही मालूम बस एक ईमानदार शख्स है कवरेज इस इंसान को मिलनी चाहिए पत्रकारिता से जुड़े लोगों को ये होना ही चाहिए।ऐसे ही युवा गांव,शहर,जिला,प्रदेश और देश मे बदलाव ला सकते है ये युवा “टीम निशान्त” एक मिशाल है।धन्य है ये और धन्य है इनकी सोच।सुलूट तो बनता है इन्हें।