ग़ाज़ीपुर

गाजीपुर- चमार चाट भंडार प्रो०तंबूक राम

गाज़ीपुर- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब से नया फरमान जारी किया है की हर दुकानदार को दुकान के बाहर अपना नाम पता लिखना पड़ेगा तभी से इस पर सत्ता और विपक्ष में विवाद चल रहा है।वैसे तो माननीय सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस फरमान के खिलाफ स्थगन आदेश दे रखा है लेकिन फिर भी सरकार और नौकरशाह इस आदेश का अनुपालन करवाने के लिए काफी तत्पर है ।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस फरमान को लेकर तमाम टीवी चैनलों पर खूब लंबी चौड़ी डिबेट/ बहस चल रही है।दल विशेष के समर्थक उत्तर प्रदेश सरकार के इस फरमान का समर्थन कर रहे हैं तो वहीं तमाम विपक्षी दल इस फरमान का विरोध कर रहे हैं। टीवी चैनलों के डिबेट को देख देख कर मेरा मन आज अपने मित्र बातूनी से मिलने के लिए बेकरार हो गया। मैंने कपड़ा पहनना और मियां बातूनी से मिलने गोराबाजार की तरफ चला पड़ा ।मेरे मित्र का ठिकाना गोराबाजार में हनुमान मंदिर के पास स्थित गुड्डू की चाय की दुकान हैं । मैं गुड्डू के चाय की दुकान पर पहुंचा वहां पहले से ही बैठे हुए मेरे मित्र बातूनी मियां मिल गए। ‌मैंने अपने व मित्र के लिए चाय बोला तो गुड्डू ने हम दोनों को दे चाय दिया। चाय पीते हुए हमने मियां बातूनी से कहा की मित्र उत्तर प्रदेश सरकार का यह फरमान सही है या गलत है ? मित्र बातूनी ने चाय की चुस्की लेते हुए तपाक से  बोल उठे, क्या खाक फरमान सही है ? इस फरमान से तो सांप्रदायिक और जातिवादी शक्तियों को ताकत मिलेगी। मैंने कहा वह कैसे ? तब बातूनी ने कहना शुरू किया, मियां आप उस देश में रहते हो जहां आज भी दलित बिरादरी के लोगों को सवर्ण बिरादरी के लोग किराए पर मकान देना पसंद नहीं करते। मियां आप ग्रामीण क्षेत्रों में चले जाओ आज भी दलित जातियों के साथ अछूतों का व्यवहार होता है। आज भी दलित जातियों के लिए सवर्ण  बिरादरी के लोग चाय पीने के लिए अलग कप व प्लेट और खाने के लिए स्पेशल थाली ग्लास रखते हैं। यदि कोई दलित अपने चार्ट भंडार का नाम चमार चाट भंडार रख देगा तो कितने सवर्ण उसकी दुकान पर चाट खाने जाएंगे ?  क्या इससे जातीय भेदभाव नहीं बढ़ेगा ? कुछ पलों के लिए मियां बातूनी खामोश हुए लेकिन फिर उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ते हुए कहना शुरू किया।हर दुकानदार को अपना पूरा परिचय दुकान पर लिखकर टांगना चाहिए।मैंने कहा मियां अग्रवाल स्वीट हाउस, शर्मा रेस्टोरेंट तो चल जाएगा, लेकिन अगर कोई दलित समाज का व्यक्ति चमार चाट भंडार का बोर्ड लगाकर बाजार में खड़ा हो जाएगा तो शायद ही सवर्ण समाज के लोग उसकी दुकान पर चाट खाना पसंद करेंगे। मेरा तो मानना है की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपने इस फरमान को वापस लेना चाहिए। सरकार सरकार है जनता, समाज के भले के लिए फरमान निकलना उसका काम है,लेकिन वास्तव में इससे समाज में भेदभाव को बढ़ावा ही मिलेगा। सम्प्रदाय बिषेश को टारगेट करने के चक्कर में देश और समाज का दलित वर्ग भी इसका खामियाजा भूगतेगा। इतना कहते कहते हम दोनों की चाय खत्म हो गई और हम दोनों अपने-अपने रास्ते निकल लिए।(हास्य व्यंग)