गाजीपुर: चार पुलिसकर्मियों को तीन-तीन वर्ष की सजा

गाजीपुर : 34 वर्ष पुराने मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट स्वप्न आनंद की अदालत में शनिवार को चार पुलिसकर्मियों को तीन-तीन वर्ष की सजा और 26500 रूपए के अर्थ दंड से दंडित किया। जिन पुलिस कर्मियों को अदालत ने दंडित किया उनमें सुदामा, ईशनारायण, धर्मदेव तिवारी व भीम सेन है। प्राप्त जानकारी की अनुसार 14 अप्रैल 1991 को मरदह थाना क्षेत्र के घरिहा गांव में दो पक्षों में विवाद की सूचना पर तत्कालीन थानाध्यक्ष में एमए काजी दलबल के साथ गांव पहुंचे और पंहुचते ही गांव वालों को सामूहिक रूप से गालियां देने लगे। जिसका राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक गांव निवासी कुबेरनाथ सिंह ने विरोध किया तो थानाध्यक्ष ने रामावतार सिंह के घर के सामने से कुबेर नाथ सिंह को गिरफ्तार कर थाने ले आये और तमाम अपशब्द, दुर्व्यवहार करते हुए उनके उपर फर्जी मुकदमा दर्ज कर हवालात में डाल दिया। शिक्षक कुबेरनाथ के पुत्र हरिकेश बहादुर सिंह ने थानाध्यक्ष के इस कृत्य की शासन प्रशासन के तमाम बड़े अधिकारियों से शिकायत किया। हरकेश सिंह के शिकायत पर शासन ने मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दिया। सीबीसीआईडी ने अपने जांच में पाया कि तत्कालीन थाना अध्यक्ष ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कुबेरनाथ सिंह को गिरफ्तार किया और फर्जी मुकदमे में फंसाया।सीबीसीआईडी ने अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया और थानाध्यक्ष समेत 12 पुलिस कर्मियों को आरोपित बनाया था। इस मामले में 12 आरोपित पुलिसकर्मियों में से तत्कालीन थानाध्यक्ष सहित तीन को पहले ही 7-7 वर्ष की सजा सुनाई जा चुकी है, जबकि पांच की मृत्यु हो चुकी है। कुबेरनाथ सिंह का भी वर्ष 2010 में निधन हो गया।