ग़ाज़ीपुर

गाजीपुर – दुष्कर्म को लेकर राजनैतिक दलों का दोहरा चरित्र

गाजीपुर- प्रतिदिन की भांति आज 28 अगस्त को प्रातः 4:00 बजे नींद खुल गई और मैं कमरे का पंखा बंद कर बाहर पोर्च में आकर तखत पर बैठ गया और नित्या की भांति दो ग्लास जल पीने के बाद आधे घंटे बैठा और फिर टॉयलेट में पहुंचा।सौच   होने के पश्चात चिडियों के लिए दो मुट्ठी चावल बिखेरा।लगभग 6:00 बजे कैंपस के गेट से निकलकर टहलने के लिए चल पड़ा । जिलाधिकारी आवास,पीरनगर होते हुए विकास भवन चौराहा, बड़ा महादेव, गोराबाजार से पीजी कालेज चौराहा तक पंहुचने के बाद वापस  हनुमान मंदिर , दुर्गा मंदिर के आगे पेट्रोल टंकी के सामने स्थित श्रीराम के चाय की दुकान पर बैठकर मसाले वाली  चाय पी ही रहा था कि हमारे वाचाल मित्र मियां बातूनी मिल गए। दोनों मित्र चाय पीने लगे लेकिन एक सवाल मेरे दिमाग में कई दिनों से कूल बुला रहा था। मैंने सोचा क्यों ना उस सवाल को बातूनी मियां से शेयर करूं तो यही सोचकर मैंने बातूनी मियां से कहा की मियां जो बंगाल दुष्कर्म का विरोध हो रहा है क्या वह ठीक है ? कुछ देर मौन रहने के बाद मियां बातूनी ने अपने मुखारविंदु से राग बेसूरा छेड़ा और कहने लगे मित्र बंगाल जैसा रेप तो सारे देश में जगह-जगह होता है और हो भी रहा है,लोग विरोध भी करते हैं और प्रदर्शन भी करते हैं और होना भी चाहिए।लेकिन कभी-कभी दुष्कर्म के मामले में जब राजनैतिक दल अपनी रोटियां सेंकने लगते हैं तो वह विरोध प्रदर्शन हिंसक और भयंकर हो जाता है। बंगाल में दुष्कर्म को लेकर जो विरोध प्रदर्शन हो रहा है उसके पीछे दल विशेष की ताकत है। आम छात्रों के समूह के साथ दल विशेष के सदस्य काफी बड़ी संख्या भाग ले रहे हैं। मित्र जिस राज्य में जिस दल की सरकार होती है, वहां उस दल के लोग उस प्रदेश में हुए बलात्कार पर अपना मुंह नहीं खोलते या खोलने से परहेज करते हैं वहीं दूसरे दल की सरकार वाले प्रदेश में तोते की तरह या कौवे की तरह कांव-कांव करने लगते हैं। अभी हाल में ही महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड जैसे तमाम राज्यों में दुष्कर्म की अनेक घटनाएं प्रकाश में आई है लेकिन वहां सत्तारूढ़ दल के किसी नेता ने कोई आवाज नहीं उठाई। वहीं दूसरी तरफ सत्ता से बेदखल विपक्षी दल इन दुष्कर्मों पर जोर-जोर से प्रदर्शनकारियों का साथ देने के साथ जमकर मातम मना रहे हैं। यानि यही बात हुई कि” तुम करो तो रास लीला, हम करे तो कैरेक्टर ढीला”चाय खत्म हुई और मियां बातूनी और मैं अपने-अपने रास्ते चल दिए।