गाजीपुर- नोटा यानि भारतीय मतदाता को अभिव्यक्ति की आजादी

गाजीपुर- हम नोटा पर चर्चा करें उससे पूर्व बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक मान्यवर कांशी राम के द्वारा रोपड़ पंजाब की जनसभा में दिए गए भाषण का एक अंश यहां उद्धृत करना चाहूंगा। रोपण की जनसभा में मान्यवर कांशी राम साहब ने कहा था कि ” ऐ मेरे समाज के लोगों यदि मुझसे प्रत्याशी देने में कोई गलती हो जाए तो आप उसे सुधार लेना “। यानी मान्यवर कांशीराम साहब का कहने का मतलब यह था यदि मैं किसी ऐसे प्रत्याशी को उम्मीदवार बना दूं जिसका चाल -चरित्र उचित ना हो और मुझे भ्रमित करके टिकट ले ले तो उसे आप हराकर मेरी गलती को सुधार देना ।
नोटा का विकल्प भारतीय मतदाताओं को वर्ष 2013 में उपलब्ध कराया गया ।इसका उद्देश्य था चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के विकल्प या नाराजगी या असंतोष को मतदाता राजनीति में अभिब्यक्ति को स्थान देना।नोटा उम्मीदवारों की गुणवत्ता के प्रति मतदाताओं के असंतोष और असहमति को दर्शाता है। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में इसने अनुमानित रूप से 22 विधानसभा क्षेत्रों में जीत के अंतर को प्रभावित किया ।वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिले कुल वोट का यह 3.4 % था। कांग्रेश को मिले कुल वोट का यह 5.61 फ़ीसदी था।इनमें 5.92 लाख से ज्यादा मतदाता नोटा का उपयोग करने वाले उत्तर प्रदेश के थे। राष्ट्रीय स्तर पर नीलगिरी के वोटरों 46559 नोटा का बटन दबा कर शीर्ष स्थान प्राप्त किया। उत्तर प्रदेश में राँबर्टसगंज के मतदाताओं नें 18489 नोटा का बटन दबा कर प्रदेश में शीर्ष स्थान पर है। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव 2017 में 7:50 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया ।विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिले कुल वोटों का यह 2.2 % है। बसपा के कुल वोट का यह 3.9 % है। सपा के कुल वोटों का यह 4 % है। कांग्रेस के वोटों का यह 13 % है। निर्दलीय उम्मीदवारों को मिले कुल मतों का यह 33 % है।
वर्तमान समय में कुछ राजनैतिक दल इसे अपने खिलाफ मानते है लेकिन उन राजनैतिक दलों या उम्मीदवारों को खुद यह सोचना चाहिए आखिर मतदाता उनकी कीन गल्तियों के कारण नोटा को तरजीह दे रहे है। सभी राजनैतिक दल एनकेन प्रकारेण सिर्फ चुनाव जितना चाहते है उन्हें मतदाताओं की पसंद नापसंद की कोई परवाह नहीं है।ऐसे राजनैतिक दलों या उम्मीदवार को नोटा की ताकत से उनकी हैसियत बताने माध्यम है।