गाजीपुर-बाबू सिंह कुशवाहा नें गाजीपुर की लडाई को रोचक कर दिया-गाजीपुर टुड़े

गाजीपुर- लोकतंत्र मे हार और जीत दोनों एक साथ चलते हैं ।वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है कभी एक दूसरे को फूटी आंखों नहीं देखने वाले सपा और बसपा को अपना अस्तित्व बचाने के लिए एक मंच पर आकर गठबंधन करना पड़ा तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली एनडीए गठबंधन के कई घटक दल एनडीए से अलग हो गए ।गाजीपुर जनपद में मुकाबला सपा बसपा गठबंधन उम्मीदवार अफजाल अंसारी और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मनोज सिन्हा के मध्य ही सिमटा हुआ नजर आ रहा था,लेकिन इन दोनों प्रत्याशियों के लड़ाई में एक रोचक मोड़ उस समय आ गया जब बहुजन समाज की सरकार में कभी कद्दावर कैबिनेट मंत्री रहे और 9-9 विभागों को संभालने वाले बाबू सिंह कुशवाहा के जनाधिकार पार्टी ने अपने कैंडिडेट को कांग्रेस के सिंबल पर गाजीपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ाया। अजीत सिंह कुशवाहा के समर्थन में लंका के मैदान में बाबू सिंह कुशवाहा की रैली में उमड़ी उनके स्वजातियों की भीड़ ने गाजीपुर के राजनीतिक पंडितों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया की मुकाबला भले गठबंधन और भाजपा उम्मीदवार के मध्य है लेकिन तीसरे स्थान की लड़ाई जन अधिकार मंच के कार्यकर्ता अजीत कुमार सिंह की पक्की है। आने वाले 23 मार्च की मतगणना में कौन किसको कितने मतों से पराजित करता है यह तो गणना के बाद पता चलेगा लेकिन पहले और दूसरे की लड़ाई अफजाल अंसारी अनाम मनोज सिन्हा की है तो तीसरा स्थान अजीत सिंह कुशवाहा ने लगभग पक्का कर लिया है। सबसे रोचक तथ्य यह है कि जिस कुशवाहा बाहुल्य छावनी लाईन ने वर्ष 2014 में गाजीपुर से सपा उम्मीदवार बाबू सिह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या को नकार दिया था वहीं छावनी लाईन अजीत कुशवाहा को जी खोल कर गले लगाने को तैयार।

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