गाजीपुर -भारतीय राजनीतिक का नया धूमकेतु चंद्रशेखर आजाद रावण
गाजीपुर- भारत की राजनीति में एक नए धूमकेतु का बहुत तेजी से उदय हो रहा है, उस धूमकेतु का नाम है चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण। रावण ने अपने दम पर उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से चुनाव लडा और विजय पाया। चंद्रशेखर आजाद रावण के खिलाफ समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार मजबूती से लड़े लेकिन तीनों राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को हराकर चंद्रशेखर आजाद रावण ने नगीना लोकसभा सीट पर अपनी जीत का परचम लहरा दिया। 11 सितंबर 2024 को चंद्रशेखर आजाद रावण ने दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में आरक्षण में वर्गीकरण को लेकर एक जनआक्रोश रैली का आयोजन किया था।इस रैली पर देश के सभी राजनैतिक दलों और मिडिया बारीकी से नजरें लगायें बैठी थी।इस रैली में देश के कोने-कोने से लाखों दलित नौजवान इकट्ठा हुए और चंद्रशेखर आजाद रावण को अपना समर्थन दिया।इस रैली में शामिल भीड़ को देख कई राजनीतिक पंडित अचंभित हो गये।भारतीय राजनीति में चंद्रशेखर आजाद रावण एक उभरता हुआ सितारा है इस बात को खुद अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिका टाइम मैगजीन ने स्वीकार किया है। आज चंद्रशेखर आजाद रावण में दलित युवाओं के साथ-सा था अल्पसंख्यक समाज के युवाओं को भी अपना भविष्य सुरक्षित दिखाई दे रहा है। जब भी कहीं दलितों पर या अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होता है तो उनके समर्थन में उठने वाली सबसे पहली आवाज चंद्रशेखर आजाद रावण की होती है। आज चंद्रशेखर आजाद रावण के बढ़ते हुए कद से देश- प्रदेश के कई राजनीतिक दलों के कान खड़े हो गए हैं।इन राजनैतिक दलों को चंद्रशेखर आजाद रावण के रूप में एक नये ख़तरे की घंटी बजती दिखाई दे रही है। रावण के बढ़ते कद से सबसे अधिक परेशान यदि कोई है तो बहुजन समाज पार्टी की मुखिया सुश्रीमायावती जी है। दलितों को उनका हक दिलाने के लिए मान्यवर कांशीराम साहब ने देश के कोने कोने की जिन पगडंडियों को साइकिल से नाप कर बहुजन समाज पार्टी की स्थापना किया था आज उसे बहुजन समाज पार्टी की मुखिया के निष्क्रियता के चलते दलित समाज का नौजवान बहुत ही तेजी से चंद्रशेखर आजाद द्वारा स्थापित आजाद समाज पार्टी और भीम आर्मी की तरफ होता जा रहा है। वर्तमान में बहुजन समाज पार्टी की मुखिया सुश्री मायावती को जब सत्ता पक्ष को टारगेट करना चाहिए तो बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती जी विपक्षी दल कांग्रेस और सपा को टारगेट करके बयान दे रही हैं, उनका यह बयान दलित सहित अन्य जातियों को उनके व्यवहार पर संदेह करने का एक अच्छा खासा मौका दे रहा है। इसी तरह से चंद्रशेखर आजाद रावण के बढ़ते प्रभाव से दलित मतदाताओं को अपने से जोड़ने का ख्वाब देखने वाले और पीडीए का नारा देने वाले सपा के मुखिया अखिलेश यादव को पीडीए में से डी (दलित) के निकल जाने का भय दिखाई दे रहा है। कांग्रेस व कांग्रेस के सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी हैरान परेशान दिखते हैं। राहुल बार-बार संविधान ख़तरे में और भाजपा दलितों और पिछड़ों का आरक्षण खत्म करने का भय दिखाकर दलितों को कांग्रेस से जोड़ने का ख्वाब देख रहे हैं।भाजपा और आरएसएस भी कभी नहीं चाहेंगे की चंद्रशेखर दलितों को अपने पाले में खिंच ले क्योंकि उनके हिन्दुत्व का नारा कमजोर हो जायेगा।आने वाले दिनों में चंद्रशेखर आजाद रावण अवश्य ही एक महत्वपूर्ण शख्सियत बनकर उभरेगा।देश और प्रदेश में चाहे जिस राजनैतिक दल को सरकार बनानी होगी उसे रावण का सहयोग लेना ही होगा।यह समय बहुत ही जल्द आने वाला है।चंद्रशेखर आजाद रावण का जन्म 3 दिसंबर 1986 को छुतमलपुर गांव जनपद सहारनपुर में हुआ है। चंद्रशेखर आजाद रावण की स्नातक की शिक्षा लखनऊ में हुई इसके पश्चात उन्होंने एलएलबी हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय गढ़वाल से किया। चंद्रशेखर आजाद रावण पेसे से अधिवक्ता और नेता हैं।आजाद समाज पार्टी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद बौद्ध धर्म को मानते हैं, उनकी पत्नी का नाम वंदना कुमारी व माता का नाम कमलेश देवी तथा पिता का नाम गोवर्धन दास है। चंद्रशेखर आजाद रावण के बढ़ते राजनीतिक कद और बेबाकी से दिये गये बयान को लेकर कई बार उन पर जानलेवा हमले भी हो चुका है। आने वाले दिनों में बगैर चंद्रशेखर आजाद को साथ दिए भारतीय जनता पार्टी को हारने का सपना विपक्षी गठबंधन का शायद ही पूरा हो। कृपया लाइक, कमेंट और शेयर अवश्य करे। धन्यवाद