गाजीपुर- भ्रष्टाचार की हद हाटकुक्ड के पैसे और राशन में बंदरबाट

गाजीपुर- भारत सरकार आंगनवाड़ी केंद्र में पढ़ने वाले बच्चों को गर्म भोजन यानी हाटकुक्ड उपलब्ध कराने के लिए समस्त परियोजनाओं पर हाटकुक्ड के नाम पर किसी आंगनबाड़ी केन्द्र पर 3000/ हजार तो किसी केन्द्र पर 9000/ तक रूपया आया है। नकद के साथ-साथ आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए कोटेदार के पास चावल तथा गेहूं भी सरकार ने उपलब्ध कराया है। महिला एवं बालविकास विभाग मे व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते बच्चों के निवाले का यह आपका पैसा और अनाज बच्चों के गले के नीचे जाने से पहले ही विभागीय भ्रष्टाचारियों और आंगनवाड़ियों के बीच आधे- आधे में बंट जा रहा है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब आंगनबाड़ी कर्मचारी एवं सहायिका एसोसिएशन के जिला संरक्षक सूरज प्रताप सिंह महुआबाग स्थित एक्सिस बैंक मे अपने खाते से पैसा निकलने गये। वहां सदर परियोजना की सैकड़ों आंगनबाडी कार्यकर्ता अपने हाटकुक्ड के खाते से पैसा उतारने गयीं थी। वहां उपस्थित आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने आफँ द रिकॉर्ड बताया कि हाटकुक्ड के पैसे में आधा सुपरवाइजर और सीडीपीओ को देना है तो हम हाटकुक्ड कहा से बनायेंगे। गाजीपुर जनपद में शहर परियोजना को लेकर कुल 17 परियोजनाएं हैं,लेकिन इन सभी परियोजनाओं के मात्र 8-10 केन्द्रों पर ही हाटकुक्ड बनता बाकी सभी केन्द्रो पर सन्नाटा पसरा रहता है। आईसीडीएस के भ्रष्टाचारी इन्हीं केन्द्र के भोजन कर रहे बच्चों की फोटो दिल्ली, लखनऊ तथा गाजीपुर के विभागीय पोर्टलों पर डाल कर सब को बेवकूफ बना कर अपनी पीठ थपथपा लेते है। इस भ्रष्टाचार के संदर्भ में सब से पहले गाजीपुर के चर्चित न्यूज पोर्टल खबरनवीस ने खबर लगा इसके बाद इस खबर की तहकीकात दैनिक जागरण गाजीपुर ने किया। दैनिक जागरण की खबर के बाद जनपद के आला हाकिम ने विभागीय अधिकारियों को जम कर फटकार लगाया लेकिन फिर बैतलवा डाल के डाल वाली कहावत पर अमल करने लगा। इस भ्रष्टाचार के संदर्भ में जब भी आप किसी सुपरवाइजर, सीडीपीओ, डीपीओ और बाबू से बात करेंगे तो कहेंगा कि सभी केन्द्र पर हाटकुक्ड बन रहा है वहीं जब आप धरातल पर इसकी सच्चाई जानने जायेंगे या किसी ग्रामीण से पुछेंगे तो सच्चाई जानकर आप हैरान हो जायेंगे। आप ग्रामीण क्षेत्र में रहते है या शहरी क्षेत्र में रहते है आप अपने यहां के आंगनबाड़ी केन्द्र को खुद जाकर देखलें सचाई आप के सामने आ जायेगी।