गाजीपुर: विद्युत वितरण कंपनियों के निजी करण का मामला पंहुचा हाईकोर्ट

वाराणसी:उपभोक्ता संरक्षण उत्थान समिति,वाराणसी की जनहित याचिका संख्या – 1218/2020 द्वारा 5 शहरों के निजीकरण के लिए शुरू की गई कार्यवाही को रद्द करने के लिए दायर की गई । जनहित याचिका में निजीकरण की प्रक्रिया रद्द करने औऱ कंपनी की परिसंपत्तियों की जांच या ऑडिट केन्द्रीय सतर्कता आयोग जैसी स्वतंत्र एजेंसी या किसी न्यायिक अधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा कराने की भी प्रार्थना की थी।
सरकार/प्रबंधन की ओर से उक्त जनहित याचिका में शपथ-पत्र दाख़िल कर कहा गया था कि कंपनी को किसी निजी संस्था को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव पहले ही वापस ले लिया गया है और वर्तमान में ऐसा कोई मुद्दा विचाराधीन नहीं है। कंपनी के हस्तांतरण की कार्यवाही बिल्कुल भी प्रचलन में नहीं है। यह भी कहा गया था कि कंपनी अधिनियम की धारा 139 के प्रावधानों के अनुसार, कंपनी की परिसंपत्तियों और अन्य सभी मुद्दों की ऑडिट करने के लिए विशेष लेखा परीक्षक की नियुक्ति पहले ही की जा चुकी है।इस सपथ पत्र के बाद माननीय उच्च न्यायालय द्वारा प्रतिवादी/कंपनी/सरकार की ओर से दिए गए कथन/शपथ-पत्र के आलोक में रिट याचिका का निपटारा वर्ष-2020 किया था।
पूरे प्रदेश के साथ देश भर के कर्मचारी है निजीकरण का कर रहे विरोध———-
उल्लेखनीय है कि एक बार फिर सरकार/प्रबंधन द्वारा इस बार पूर्वान्चल औऱ दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमो के निजीकरण की ओर कदम बढ़ाने के विरोध में सयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश का लगभग 2 माह से विरोध सभाएं औऱ जागरूकता अभियानजारी है। बिजली के निजीकरण के विरोध में प्रदेश के 21-22 श्रम संगठनो द्वारा भी संघर्ष समिति के विरोध का समर्थन की घोषणा की औऱ लखनऊ में एक विशाल सयुक्त बिजली पंचयात की । इसके बाद भी प्रबंधन अपने कर्मचारियों को भरोसे में न लेकर इकतरफा निजीकरण करने पर उतारू है। अभी तक प्रबंधन ने संघर्ष समिति से कोई सकारात्मक बातचीत भी नही की है।
वर्ष-2020 की PIL के आदेश के अनुपालन की कार्यवाही भी प्रबंधन ने नही की——-
प्रदेश औऱ देश में बिजली निजीकरण के विरोध एवं सरकार/प्रबंधन की निजीकरण करने की हठधर्मिता के कारण औऱ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए उपभोक्ता संरक्षण उत्थान समिति,वाराणसी द्वारा पुनः पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रस्तावित निजीकरण को रद्द करने सहित पांच बिंदुओं पर माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाख़िल की।
उपभोक्ता संरक्षण उत्थान समिति,वाराणासी द्वारा दो वितरण कंपनियों को बचाने एवं अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओ में प्रमुख से सार्वजनिक निजी भागीदारी पीपीपी को सक्षम करने के लिए लेनदेन सलाहकार सेवाएं प्रदान करने में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की सहायता के लिए सलाहकार हेतु निकाले गए निविदा आमंत्रण को निरस्त करने एवं दो स्वायत्त वितरण कंपनियां पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के संबंध में राज्य सरकार/उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लखनऊ के निदेशक मंडल द्वारा शुरू की गई निजीकरण की संपूर्ण कार्यवाही को भी रद्द करने एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कंपनी की परिसंपत्तियों की आडिट से संबंधित मूल अभिलेखों को संबंधित प्राधिकारी द्वारा की गई कार्यवाही की स्थिति रिपोर्ट के साथ पेश करने की मांग की गई है। जिसे उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा की जा सके और वे बिना किसी बाधा के सबसे कम शुल्क पर बिजली का उपयोग कर सकें।
आईएएसओ की अवैध नियुक्तियों पर सवाल ? —–
जनहित याचिका में मांग की गई है कि राज्य सरकार के संबंधित प्राधिकारी को कंपनी के प्रबंध निदेशकों के चयन के संबंध में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन और उसकी सहायक कंपनियों के संस्था के ज्ञापन और अनुच्छेद के तहत प्रदान किए गए प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आदेश या निर्देश जारी करने ताकि कंपनी के सक्षम अधिकारियों जिनके पास प्रबंध निदेशक के रूप में नियुक्त होने के लिए अपेक्षित योग्यताएं हो,को कंपनी अधिनियम के अंतर्गत गठित चयन समिति द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार नियुक्त किया जा सके।
भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई से कराने की मांग—–
समिति ने जनहित याचिका में मांग की है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग या सी०बी०आई जैसी स्वतंत्र एजेंसी को निर्देश या आदेश जारी करे ताकि वह कंपनी के प्रबंध निदेशकों के रूप में अवैध रूप से नियुक्त हुए आईएएस अधिकारियों या अन्य भ्रष्ट अधिकारियों या कर्मचारियों द्वारा की गए अवैध कार्यों के संबंध में निष्पक्ष जांच कर सके।(सभार-उपभोक्ता की आवाज डाट काम)