ग़ाज़ीपुर

गाजीपुर-सपा का पीडीए, भाजपा का हिन्दुत्व और कांग्रेस का जाति-गणना

गाजीपुर -देश के सभी राजनीतिक दल अधिक से अधिक संख्या में मतदाताओं को अपने दल से जोड़ने के लिए समय-समय पर राजनीतिक स्लोगन या नारों का इस्तेमाल करते हैं। वर्तमान दौर में उत्तर प्रदेश के मजबूत राजनीतिक दलों में से एक समाजवादी पार्टी के मुखिया और उसके छोटे बड़े कार्यकर्ता बहुत ही जोर शोर से पीडीए का नारा उछल रहे हैं। मेरे हिसाब से समाजवादी पार्टी अपने इस नारे से यह समझना या यह संदेश देना चाहती है कि पिछड़े ,दलित और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा यदि कोई राजनीतिक दल कर सकता है तो वह समाजवादी पार्टी। इसी तरह से भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व का नारा बुलंद करके हिंदू मतदाताओं को अधिक से अधिक अपने दल से जोड़ना चाहती है ।भारतीय जनता पार्टी अपने नारे से हिंदू मतदाताओं को यह समझना चाहती है कि मुस्लिम कट्टर पंथीयों के दुष्कृतियों से यदि उनका कोई रक्षा कर सकता है तो वह है सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी है।ठीक इसी तरह से कांग्रेस पार्टी भी जातीय जनगणना को आधार बनाकर अधिक से अधिक मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करना चाहती है। कांग्रेस देश के पिछडे, दलित, आदिवासियों व अल्पसंख्यको को यह समझना चाहती है की आप देश की आबादी का 85 प्रतिशत हो और देश के संसाधनों पर 15 प्रतिशत अगडे जातियों का अधिकाधिक कब्जा है। यदि केन्द्र में कांग्रेस की सरकार बनेगी तो “देश में जिस जाति की जितनी प्रतिशत आबादी होगी उसे देश के संसाधनों उसी हिसाब भागीदारी दी जायेगी “। इन राजनीतिक दलों के स्लोगन कितने कारगर हो रहे हैं और आगे होंगे यह तो आने वाले समय में देखा जाएगा, लेकिन राजनीतिक दल मतदाताओं में अपनी हिस्सेदारी बनाये रखने व बढ़ाये रखने के लिए समय-समय पर ऐसे नारे दिया ही करते हैं। इसी तरह से बहुजन समाज पार्टी की मुखिया दलित मतदाताओं पर अपना अधिकार और आधिपत्य बनाए रखने के लिए दलितों  के साथ घटित होने वाली किसी भी अप्रिय घटना पर क्षोभ व दुख व्यक्त करने से नहीं चूकती है। दूसरी तरफ दक्षिण भारत के चर्चित अल्पसंख्यक नेता ओवैसी साहब मुसलमान के प्रति होने वाली अप्रिय घटना पर प्रतिक्रिया देने से नहीं चूकते। अभी तक जो मैं समझ पाया हूं सभी राजनैतिक दल मतदाताओं से जाति , सम्प्रदाय से भय, अगड़ों द्वारा पिछड़ो के शोषण भय दिखाकर  राजनीति की रोटियां सेंक रहे हैं।(यह लेखक का अपना विचार है,आप इससे सहमत या असहमत हो सकते हैं)