पांच लोगों के हंसते-खेलते परिवार का दर्दनाक अन्त

गाजीपुर -करंडा थाना क्षेत्र के रामनाथपुर निवासी रमाकांत यादव पुत्र देवनाथ यादव आयु 40 वर्ष गुजरात में रहकर प्राइवेट नौकरी करता था विगत मंगलवार को वह अपने गांव रामनाथपुर आया और किसी कारण से नाराज और दुखी होकर अपनी पत्नी प्रमिला आयु 38 वर्ष, पुत्री निशा आयु 17 वर्ष ,मनीषा आयु 15 वर्ष ,पुत्र मनीष आयु 13 वर्ष के साथ उसी दिन मंगलवार को 3:00 बजे घर से नाराज होकर निकला और मंगलवार को शाम 7:00 बजे चंदौली से सैदपुर को मिलाने वाले पक्के पुल से गंगा में कूदकर परिवार सहित आत्महत्या कर लिया । पुल के ऊपर लावारिस मिले एक जोड़ी पुरूष जूता, 3 जोड़ी सैंडल और एक बैग पड़ा हुआ राहगीरों ने देखा । इसके बाद 100 नंबर पर पुलिस को लोगों ने फोन किया। 100 नंबर की पुलिस मौके पर पहुंची और उसने बैग को खोलकर तलाशी लिया , उस बैग में दो साड़ी और एक पत्र मिला । पत्र में लिखा था कि मैं रमाकांत यादव पुत्र देवनाथ यादव अपने पूरे परिवार के साथ गंगा में जान देने जा रहा हूं, जिस किसी सज्जन को यह पत्र मिले वह यह सारे सामान मेरे पिता देवनाथ यादव निवासी रामनाथपुर थाना करंडा मोबाइल नंबर पर पहुंचा दें । पुलिस ने मोबाइल नंबर जब संपर्क करना चाहा तो बार -बार घंटी बजने के बाद भी फोन नहीं उठा। इसके बाद सैदपुर कोतवाली पुलिस ने समस्त सामग्री को पत्र के साथ करण्डा थानाध्यक्ष के पास भिजवाया।उक्त सामान को ले कर बुद्धवार को जब थानाध्यक्ष करण्डा के रामनाथपुर गए और रमाकांत के परिवार को दिखाएं । बृहस्पतिवार को सिकंदरपुर ग्राम के गंगा किनारे ग्रामीणों ने दो शव को देखा , सिकंदरपुर ग्राम वासियों की सूचना पर वहां रामनाथपुर के लोग वहां पहुंचे । शव का चेहरा पहचान में नहीं आ रहा था लेकिन शारीरिक बनावट और कपड़े के आधार पर लोगों ने उसे रमाकांत के परिवार का सदस्य माना ।इसके बाद देवनाथ यादव को पहचान के लिए बुलाया गया । पहचान करने के लिए देवनाथ खुद न जाकर उसका एक पुत्र गया। उसने लाश को पहचानने से इंकार कर दिया। शव को करंडा की पुलिस थाने ले कर आई ।पुनः शुक्रवार की सुबह जमुआंव गांव के बगल में जिगना घाट के पास ग्रामीणों ने 3 शव गंगा किनारे लगे होने की सूचना दी। पुलिस के विलंब से पहुंचने के कारण 2 शव पानी में बह चुके थे ।लेकिन 1 शव वहां मिला। पुलिस ने जिगना घाट पर मिले शव के पहचान के लिए जब देवनाथ को बुलाया तो देवनाथ के साथ उसका चचेरा भाई भी गया था उसने लाश को देखते ही मनीषा – मनीषा कह कर फूट-फूट कर रोने लगा लेकिन तभी देवनाथ यादव ने अपने रोते हुए चचेरे भाई को डांट दिया और कहा यह लाश मेरे परिवार की नहीं है । पुनः शनिवार को शहर कोतवाली क्षेत्र के गंगा किनारे दो शव मिलने की अफवाह रामनाथपुर गांव में बहुत तेजी से फैली। जब देवनाथ के परिवार के लोग शव की पहचान करने के लिए गाजीपुर कोतवाली के अंतर्गत पढ़ने वाले क्षेत्र में लाश की पहचान करने जा रहे थे तो थानाध्यक्ष करण्डा खुद साथ चलने की बात कह कर देवनाथ व उसकी पत्नी चंदेई देवी को करण्डा थाने मे बुला लिया और पुर्व की दोनों शवों की शिनाख्त कराई। चंदेई देबी ने स्वीकारा की यह दोनों शव मेरे परिवार की ही है। इसके बाद शहर कोतवाली क्षेत्र की उन दोनों लाशों का क्या हुआ कुछ अता-पता नहीं चला , लेकिन शूत्रों से इतना पता अवश्य चला कि उनमें से एक लाख प्रमिला की थी जिसने हरे रंग की साड़ी पहन रखी थी। चूकी पुलिस के पास लाश की पहचान के लिए 72 घंटे रोके रखने का अधिकार है। आज संभवता पाए गए शवों का पोस्टमार्टम करा कर पुलिस लाश परिवार को सौंप दें और परिवार के अन्य लोगों के शव मिलने की संभावना अब ना के बराबर है । इस तरह से हंसते खेलते परिवार का दर्दनाक अंत हो गया, लेकिन अभी भी एक परिवार की सामूहिक आत्महत्या का रहस्य और कारण भविष्य के गर्भ में ही छुपा है।