प्रयागराज-कौंधियारा के गोंठी गांव में एनकाउंटर में मारा गया विजय चौधरी उर्फ उस्मान बेहद शातिर था।महज दो साल के अंदर ही वह गिरोह में इतना आगे बढ़ गया था कि सीधे अतीक और अशरफ से मिलने लगा था।घटना से पहले वह अशरफ से मिलने बरेली जेल गया था।उससे पहले वह अतीक से मिलने साबरमती जेल पहुंचा था।उस्मान ने दोनों से वादा किया था कि वह अकेले ही उमेश और सिपाहियों को मार देगा।विजय ने ही पहली गोली उमेश पाल और सिपाही संदीप को मारी थी।विजय चौधरी उर्फ उस्मान की मुलाकात करीब 2 साल पहले गुलाम से हुई थी। उसे जब नए असलहे मिले तो बहुत जल्द ही अचूक निशाना लगाने लगा।
गुलाम ने अतीक और अशरफ दोनों से विजय के बारे में बताया तो गुलाम ने कई बार दोनों से विजय की बात भी कराई। धीरे-धीरे अतीक गिरोह में विजय का कद बढ़ता गया। उसे गिरोह मे उस्मान कहा जाने लगा। विजय की पहचान उस्मान के रूप में रह गई।कुछ महीने पहले जब साबरमती जेल में उमेश को खत्म करने का खाका तैयार हुआ तो विजय की बड़ी भूमिका तय की गई।इसके बाद उसे आईफोन के साथ पिस्टल तथा ₹50000 भी दिए गए। खुद की भूमिका से उस्मान भी बेहद खुश था।गाड़ी चलाने से कई महीनों में जीतना धन मिलते वह एक बार ही मिल जाता था। गुलाम के साथ वह अतीक के बेटे असद से भी मिलने लगा। दोनों लगभग हम उम्र थे उसने ही पहली बार उमेश पाल की हत्या करने के बारे में बताया और कहा गया कि अगर काम हो गया तो 10 लाख रूपये और गाड़ी इनाम मे दी जाएगी, गाड़ी व 10 लाख मिलने की बात सुनकर वह काफी खुश था। उसने असद से कह दिया कि वह अकेले ही मार देगा। यह बात असद ने पिता को बताई तो अतीक ने उस्मान से मिलने की बात कही। इसके बाद उस्मान साबरमती जेल पहुंचा अतीक से भी उसने वादा किया कि वह अकेले ही उमेश और सिपाहियों को मार देगा। इसके कुछ दिन बाद ही मुस्लिम बोर्ड हॉस्टल में सदाकत खान के कमरे में मीटिंग हुई। हालांकि इसमें उस्मान शामिल नहीं था।उसी में यह निर्णय लिया गया कि गाड़ी से उतरते ही उमेश और सिपाहियों को पहली गोली उस्मान ही मारेगा। बाकी लोग बैकअप में रहेंगे आसपास मौजद रहेगे। अगर उस्मान यह काम नहीं कर पाया तो बगल में ही मौजूद गुलाम मोर्चा संभाल लेगा। सब कुछ प्लान के मुताबिक हुआ उसने पहली गोली उमेश को फिर सिपाही को मार दी।गोली लगने के बाद भी उमेश अपने घर के अंदर भागा तो इसके बाद गुलाम दौड़ा और फिर शूटरों का पूरा झंड टूट पड़ा।साभार-अमर उजाला
