प्रयागराज: वर्तमान,भावी,और भविष्य के आईएएस, आईपीएस, पीसीएस और पीपीएस के संघर्ष की कहानी
प्रयागराज:प्रयागराज में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाला छात्र जब घर से कमरे पर आते हैं तब रूम के आसपास रहने वाला कोई (पडोसी) मित्र या पार्टनर गठरी उठाने में सहयोग के लिए आता या था/है। मदद की यह प्रथा प्रयागराज में वर्षों से चली आ रही है आगे भी चलती रहेगी।
इस गठरी में घर वालों का ढेर सारा प्यार होता है यानी खानपान की चीज और राशन आटा, चावल, दाल, अचार एवं देशी घी आदि , जो त्योहार सीजन में इन चीजों में कुछ बदलाव होता रहता है।
जो किसान परिवार से होते हैं वह प्याज और लहसुन भी घर से लाते हैं क्योंकि उनके घर में पर्याप्त मात्रा में पैदा होता है और यह सब्जी अन्य सब्जी की अपेक्षा अधिक दिनों तक स्टोर की जा सकती है। जिनके घर प्रयागराज से थोड़े से नजदीक है उनके घर से तो कभी लौकी ,कद्दू ,आलू आदि सब्जियां भी आ जाते थे /है।हम सीजन सीजन में ऐसी ढेर सारी सामग्रियों को हम संजोकर ,ढोकर अपने साथ लाते है।कई बार महीना बीत जाने के बाद गांव से शहर की तरफ आने वाली बसें इस गठरी को शहर तक लाती है, उसके बाद शहर के बस स्टॉप/रेलवे स्टेशन पर जाकर विद्यार्थी अपने रूम तक लाते हैं। कई बार पार्टनर की साइकिल की मदद से तो कई बार जब कोई नहीं होता तो ई रिक्शा, आटो आदि की मदद लाते हैं।
जब आप प्रयागराज में रहते थे तो आपका कौन सा दोस्त आपकी गठरी ले जाने आता था/ है??
यह गठरी छात्रों को उनके अध्ययन के दौरान शहर में रहते हुए घर का प्यार और समर्थन प्रदान करती है।
यह प्रथा प्रयागराज में वर्षों से चली आ रही है और आज भी जारी है। यह छात्रों के लिए एक भावनात्मक और आवश्यक समर्थन है, जो उन्हें अपने अध्ययन में सफल होने के लिए प्रेरित करता है। कृपया कमेंट अवश्य करें।(सभार-इलहाबाद विश्वविद्यालय के फेसबुक वॉल से)