प्राथमिक शिक्षक के लिए बी०एड०अभ्यर्थी अयोग्य
उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों मे शिक्षक बनने की आश लिए वी०एड० योग्यता रखने अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट ने अयोग्य माना ।68500 पदो पर अपने अपनी दावेदारी के समर्थन मे सरिता श्रीवास्तव और अन्य द्वारा दाखिल याचिकाओं में कहा गया कि बीएड और डीएलएड की डिग्रियां एक समान हैं। इसलिए इनके नाम में अंतर मायने नहीं रखता है। डीएड (स्पेशल एजूकेशन) और बीएड (स्पेशल एजूकेशन) को एक समान मानना चाहिए।
याची का कहना था कि 1 जनवरी, 2012 तक बीए डिग्री छह माह के विशेष प्रशिक्षण के साथ प्राइमरी टीचर की नियुक्ति के लिए मान्य थी। मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने कहा कि प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्ति की अर्हता एनसीटीई द्वारा तय की गई है, जो राज्य सरकार द्वारा बनाए गए किसी भी नियम पर प्रभावी होगी।
एनसीटीई द्वारा तय अर्हता में प्राइमरी स्कूलों के लिए बीएड (स्पेशल एजूकेशन) को मान्य नहीं किया गया है। यह डिग्री कक्षा छह से आठ तक के अध्यापकों के लिए मान्य है, लेकिन कक्षा एक से पांच तक के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
बेसिक शिक्षा विभाग के अधिवक्ता संजय चतुर्वेदी का कहना था कि बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 में भी बीएड डिग्री को प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापकों की अर्हता में शामिल नहीं किया गया है।