गाजीपुर – सुख-समृद्धि एवं पुत्र की दिर्घायु की कामना के साथ डाला छठ पर मंगलवार की शाम को व्रती महिलाओं ने डूबते सूरज को अर्घ्य दिया तो नजारा अलौकिक था। गंगा घाटों पर उमड़े आस्था के समंदर के बीच गाए जा रहे मां छठ के गीत सुनते ही बन रहा था। साज श्रृंगार कर घाटों पर पूजा सामग्रियों के साथ पहुंची व्रती महिलाओं ने शाम होते ही अस्ताचलगामी सूर्य को नमन किया। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी गंगा घाटों एवं पोखरों आदि पर आस्था की जमघट रही। इस दौरान घाटों पर मेला लगा रहा। चार दिन तक चलने वाले इस पर्व को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह दिखा। चौथे दिन यानि बुधवार को उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ व्रत का समापन होगा। प्रमुख स्थलों पर सुरक्षा की भी व्यवस्था थी। लेकिन इस पर्व में सबसे बुरी हालत पाहुन/पति की होती है जो ससुराल में पत्नी /सास के छठ पुजा में सामिल होने चले जाते है। ससुराल पंहुचे पाहुन की पुजा सामाग्री खरीदने में पहले तो पुरी जेब खाली हो जाती है इसके बाद गंगा घाट जाते समय सर पर फलों से भरी टोकरी लाद दी जाती है।” यानी बंहगी लचकत जाय और पंहुना थउसल जाय “
