ये बनारसी अडी बाज , कभी नही सुधरेंगे

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वाराणसी- ये काशी के अडी बाज भी अजीब किस्म के जंन्तू है न घर की चिंता न घाट की चिन्ता । सुबह जब नीद खुली तो चल दिया अपने-अपने अडी पर । भले ही चाय की दुकान खुली हो या ना खुली हो लेकिन इनके हाजिरी कोई लेट नही होना चाहिए। मैडम ने सांम को ही कहा था कि चीनी और चाय की पत्ती खत्म हो गयी है , लेते आना लेकिन अडी बाज दोस्तों के साथ चाय की चुस्की और गप्प मारने मे कब रात्रि 12 बज गये पता ही नही चला और जनरल स्टोर वाला दुकान बन्द कर के घर चला गया। देर रात्रि घर पंहचे तो मैडम ने पुच्छा , चीनी और चाय की पत्ती ले आये की रोज की तरह आज भी भुल गये या दुकान बन्द हो गयी थी ? अडी बाज भाईयों की अंकड भी अजीब होती है , मैडम से अंकड कर बोलते है , अरे यार सुबह लेता आउंगा। फिर सुबह होगी और ये अपनी अडी पर हाजिर नाजिर। सुबह फिर अडी पर चाय की चुस्की और गप्प मारते-मारते 9.30 बजा देंगे। फिर घडी मे समय देख कर हडबडाते हुए जनरल स्टोर पंहुचेंगे और मैडम की चाय और चीन लाने के आदेश का पालन करते हुए , हडबड -हडबड घर पंहुचेंगे। घर पंहुच कर सीधे स्नानागार मे और स्नानागार से बाहर आ कर आलमारी खोलेंगे और कपडा पहनने के बाद मैडम को लम्बी आवाज लगायेंगे , अरे कुछ नास्ता वास्ता तैयार है क्या ? मैडम इन अडी बाजो की आदत से पुर्व परिचित है अतः स्कूल जाने वाले बच्चों के नास्ते और टिफिन के साथ , इन अडी बाजो के लिए अतिरिक्त नास्ता भी बना कर पहले से ही तैयार रहती है। ये बनारसी अडी बाज पत्रकार ,साहित्यकार, डाक्टर, इंजीनियर,शाहूकार, हर पेशे मे पाये जाते है।

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