योगी जी क्या आप के सरकार मे भी किसानों के भगवान बिचौलिए ही रहेंगे ?
गाजीपुर – गाजीपुर का लौवाडिह गाजीपुर का काला सोना कही जाने वाली मसूर के फसल की कटाई हो चुकी है। इस वर्ष इसकी पैदावार काफी अच्छी है। लेकिन इसका भाव काफी कम है। जिससे किसानों में निराशा व्याप्त है। इस समय मसूर तीन हजार से लेकर 3100 रुपये प्रति ¨क्वटल की दर से बिक रही है। सरकार ने इसका समर्थन मूल्य 4600 रुपये प्रति ¨क्वटल तय कर रखा है लेकिन सरकारी खरीद न होने के कारण किसान इसे न्यूनतम भाव में बिचौलियों को देने के लिए मजबूर हैं। किसानों की मांग है कि धान और गेहूं की खरीद के लिए जिस प्रकार जगह-जगह क्रय केंद्र खोले जाते हैं उसी प्रकार करइल में दलहन के भी क्रय केंद्र खोले जाएं। जिससे किसान मसूर और चना का कम से कम न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त कर सकें। किसान विनय राय, अशोक राय, रमेश यादव, सुशील मिश्र आदि का कहना है कि मसूर का वैसे समर्थन मूल्य भी काफी कम है लेकिन क्रय केंद्र खुल जाने से किसानों को राहत हो जाएगी और रुपया भी समय से मिल जाएगा। सरकार द्वारा दलहन के समर्थन मूल्य बढ़ाने की बात की जाती है लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मसूर, चना, मटर के लेने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सरकार द्वारा मूल्य बढ़ाने का क्या फायदा है। घोषित समर्थन मूल्य का लाभ किसानों को कैसे मिलेगा यह भी सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए। अन्यथा की स्थिति में कागजों में सरकारी खरीद मूल्य रहेगा और किसानों की आय भी दोगुनी होती रहेगी। वास्तविकता में बदहाल किसान और बदहाल होता जाएगा।