लखनऊ-कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इस समय अपने भारत जोडो यात्रा को लेकर जितनी चर्चा मे उससे कहीं अधिक अपनी टी-शर्ट को लेकर है।राहुल गांधी की टी-शर्ट को लेकर मिडिया और पत्रकारों के निशाने पर है।राहुल गांधी हों या आपके शहर का कोई व्यक्ति ,अफसर, नेता या पत्रकार कड़ाके की सर्दी में भी सिर्फ टी-शर्ट में नजर आते हैं तो आपको आश्चर्य होगा।पर इन्हें सर्दी न लगने की कई वजह हो सकती है।चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार कुछ लोगों मे जेनेटिक कारण तो कुछ में ब्राउन फैट सेल की अधिकता बताते हैं।एसजीपीजीआई के इंडोक्राइनोलाजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर रोहित सिन्हा बताते हैं कि सर्दी में ज्यादा समय तक बाहर रहने वाले लोगों की त्वचा की सहनशक्ति बढ़ जाती है।अगर वे लगातार मेहनत करते हैं तो आंतरिक गर्मी की वजह से भी सर्दी का असर कम होता है। वहीं कुछ लोगों में जेनेटिक वजह होती है, ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम होती है। इनमें जीन एल्फा एक्टीनिन 3 में म्यूटेशन होने लगता है इससे भी सर्दी कम लगती है। एक बड़ी वजह ब्राउन फैट होती है।इसमें यूसीपी 1 सेल प्रोटीन जारी करता है। कुछ ऐसा ही बिचार केजीएमयू के इम्युनोलाजिस्ट दिग्विजय सिंह भी बताते हैं। वह कहते हैं कि ब्राउन फैट सेल शरीर को ठंडे मौसम से बचाता है। जब हम सर्दी महसूस करते हैं तो इम्यूनोलॉजिकल बदलाव होते हैं।इसमें कई जीन इम्यून सिस्टम प्रणाली पर प्रभाव डालते हैं।इससे ब्राउन फैट शरीर में गर्मी पैदा करती है। यही वजह है कि जिन लोगों में ब्राउन फैट अधिक होता है उन्हें सर्दी महसूस नहीं होती।ब्राउन फैट शरीर मे गर्मी पैदा करती है।ब्राउन फैट मे सूत्र कणिका और माइटोकॉड्रिया अधिक मात्रा में होते हैं इन्हें चिकित्सा विज्ञान में सेल का पावर हाउस भी कहा जाता है। दिग्विजय सिंह बताते हैं कि हल्दी, भारतीय मसाले, शहतूत, अंगूर ,मिर्ची, मूंगफली ,ग्रीन टी, ओमेगा 3 फैटी एसिड सप्लीमेंट को ब्राउन फैट का अच्छा स्रोत माना जाता है।अगर निरंतर व्यायाम करते हैं तब व्हाइट फैट कुछ देर में ब्राउन फैट में बदल जाता है।यही वजह है कि खेलते, दौडते,तेजी से पैदल चलने अथवा अन्य कोई मेहनत का कार्य किया जाए तो भी सर्दी का असर कम हो जाता है। डॉक्टर रोहित सिन्हा ने बताया कि जिन लोगों में आईरन की कमी होती है उन्हें सर्दी अधिक लगती है। क्योंकि एनीमिया में रक्त संचार प्रभावित होता है। हाइपो थायराइड और मधुमेह पीड़ितों को भी सर्दी अधिक लगती है।एक कम खाने का विकार भी है जिसे एनोक्सिया कहते हैं।इस विकार में भी सर्दी अधिक रहती है। डॉक्टर रोहित करते हैं कि हमारी त्वचा के नीचे थर्मोरिसेप्टर्स नर्व्स होते हैं ये दिमाग को सर्दी होने का संदेश भेजती है।त्वचा से निकलने वाली तरंगें दिमाग के हाइपोथैलेमस में जाती है ऐसे में हम लोग रोंगटे खड़े हो जाते हैं और मांस पेशियों में सिकुड़न होने लगती है। यही वजह है कि जब शरीर के कई अंग धीमी गति से काम करते हैं तो हार्ट को ज्यादा ताकत लगानी पड़ती है ऐसे में शरीर में दर्द, अकड़न ,तेज दर्द, थकान और हाथ पैर मे काले, नीले व सफेद दाग पड़ जाने के लक्षण सामने आते हैं।साभार-अमर उजाला
