वाराणसी-मनोचिकित्सकों ने मोबाइल को माना तनाव का एक बडा कारण

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वाराणसी-काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन में इंडियन एसोसिएशन आफ प्राइवेट साइकियाट्री का 23 वें व आखिरी दिन देश विदेश से आए मनोचिकित्सकों ने मानसिक बीमारियों पर अपने -अपने विचार रखे।सम्मेलन में लगभग 1000 मनोचिकित्सक हिस्सा बने तो सभी ने एक मंच पर अपने अपने अनुभव साझा किया। अंतिम दिन का मुख्य मुद्दा बना बच्चों व महिलाओं में बढ़ते मानसिक समस्याओं के साथ ही सामान्य मानसिक बीमारियों की वजह और निवारण कैसे हो ? अधिवेशन के अंतिम दिन अपने उद्बोधन में डॉक्टर राजेश नागपाल ने मानसिक बीमारी के लिए बाजारों में उपलब्ध नई दवाइयों से मानसिक रोगियों को स्वास्थ्य करने की विधा बताएं तो डॉक्टर तनु सिंह ने महिलाओं से जुड़ी मानसिक समस्याओं के बारे में अपना अनुभव साझा किया। चार दिवसीय इस आयोजन में मुख्य मुद्दा रहा कोरोना काल के बाद वयस्क और बच्चों में के व्यवहार में बदलाव और मामूली सी बातों पर काफी गुस्सा आना। समापन सत्र में शामिल मनोज चिकित्सकों ने बताया कि परिवार में महिलाओं और बच्चे कैसे अपने को तनाव मुक्त रखें। वर्तमान परिवेश में देखा गया है कि हर परिवार के लोग एक साथ मौजूद होने के बावजूद मोबाइल फोन में बिजी रहते हैं। महिलाएं बच्चों को बहलाने फुसलाने के लिए मोबाइल फोन दे देती हैं। इससे बच्चों की दूरी बनाएं और परिवार से में संवाद स्थापित करें तब आप तनावमुक्त हो सकेंगे। समापन सत्र पर देवा फाउंडेशन के निदेशक डॉ बेणु गोपाल ने आयोजन में शामिल देश विदेश से आए मनोचिकित्सकों के प्रति अपना आभार जताया तो अंतिम दिन डॉक्टर मोहिनी, डॉक्टर राजेश नागपाल, डा०तनुकांत मित्तल, इंदिरा शर्मा, डॉक्टर डिसूजा, डॉ अविनाश देसाई,रतन सिंह सहित सैकड़ों मनोचिकित्सक मौजूद रहे।

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