सुषमा स्वराज जी को गाजीपुर का धन्यवाद

गाजीपुर- सुषमा स्वराज जी के प्रयास से हमारे बेटे को जीवन दान मिला है । इस जीवन दान को हम जीवन मे , इस उपकार के लिए भारत सरकार व सभी के प्रति सदैव नत मस्तक रहुगा।कभी नहीं भूल सकता इस एहसान को जो हमारे घर के आशा व उम्मीद को मौत के मूहँ से निकाल कर ले आने मे हमारी मदद किया। यह मार्मिक व द्रवित उदगार है एक ऐसे निहायत गरीब व मजदूर पिता का है जिसके तीन पुत्रों व एक पुत्री मे सबसे बडे 23 वर्षिय पुत्र वसीम अकरम को नौकरी दिलाने का लालच व सज्जबाग दिखा कर कर्ज के रुपए से पुरा सोफी, मोबारकपुर आजमगढ़ निवासी सगे साढू के द्वारा खाडी देश मे भेजा गया था।बहन की शादी,कर्ज से मुक्ति,तथा जीवन के मुश्किलों को दुर करने की खुशी उस वक्त वसीम की खाक हो गयी जब खाडी के देश रियाद पहुचने पर पासपोर्ट छिन लिया गया और 12-14 घंटे की कडी मेहनत के बाद भी मजदूरी न मिलने व विरोध करने पर, काम से मना कर देने पर भोजन देने से भी इंकार कर दिया गया ।धमकियां मिलने लगी की चुपचाप काम करो वर्ना किसी जूर्म मे फसा दिया जाएगा।भूख के आलम मे शारिरिक स्वास्थ गिरता गया।धार्मिक स्थल पर भिखारियों के झूंड मे दान से मिलने वाले निवाले के सहारे असहनीय जीवन एक- एक दिन भारी होता गया। फिर बेटे की फोन से दशा व हाल जान ने पर परिवार मे मातम छा गया । परिवार मे रोना- धोना शुरू हो गया।तब प्रयास हुआ गांव के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता विजय विश्वकर्मा के द्वारा , विजय ने अनपढ़ पिता को लेकर आनलाइन लिखा-पढी शुरू किया। ज्ञात हो कि पहाडपुर गाजीपुर निवासी वसीम अकरम पुत्र रियाजुद्दीन को 26 जुलाई 2017 को रियाद मे नौकरी के लिए 1800 रियाल मासिक के आश्वासन पर अपने सगे मौसे के द्वारा किसी कम्पनी के द्वारा भेजा गया था। आज मीडिया के सम्मुख पिता पुत्र ने रोते हुए स्विकार किया और लोगो से आग्रह किया की हर संभव बिना सोचे समझे खाडी देशों मे न जाए इसमे सगे समबंधी भी मानव तस्करी कर सकते है।मिठाई खिलाकर उपस्थित जनो का मुहँ मिठा कराते हुए वसीम ने कहा कि मै तो अपने जीवन से निराश हो चुका था और वतन वापसी की उम्मीद समाप्त हो चुकी थी।इसके लिए मै मंत्री मनोज सिन्हा व भारत सरकार के प्रति आजीवन कृतज्ञ हूँ।