गंगा के कटान से दहशत में ग्रामीण

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गाजीपुर- करण्डा में गंगा के तटवर्ती इलाके के गांव रफीपुर, सोकनी, बड़हरिया, पूजन बाबा का आश्रम सहित अन्य गांव वर्षों से कटान की जद में है। प्रत्येक वर्ष गंगा के जलस्तर में वृद्धि होने पर पतित पावनी लोगों की भूमि को अपनी आगोश में लेती रही है। इस वर्ष भी जलस्तर में वृद्धि के साथ ही कटान कई दिनों से शुरू हो गया था, लेकिन सोमवार को अचानक गंगा का जलस्तर पांच सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़ने लगा। इससे कटान की रफ्तार भी तेज हो गई। करीब पांच घंटे में बड़हरिया गांव के सुदामा, रामअवतार, अंबिका यादव, सुखराम, संकठा, हरखनाथ, किशोर, प्रभू, मुन्नीलाल, देवनारायण, तेजनारायण, हरिदयाल, कपिलदेव, गोविंद, दयाशंकर, कमला, शामू, कंचन, जोखन, बहादुर यादव, राजबंशी, शोभनाथ, दधिबल, विजय, श्यामनारायण, अंगद, बसगित, शिवमूरत आदि की लगभग पांच बीघा भूमि कटकर गंगा में समाहित हो गई। लोगों ने बताया कि पिछले चार-पांच वर्षों में एक दिन में यह सबसे अधिक कटान हुई है। इस कटान के बाद किसानों के माथे पर निराशा के बीच इस आशंका से बल पड़ गया है कि यदि इसी तरह से कटान की रफ्तार रही तो भारी मात्रा में उनकी भूमि कटकर गंगा में गिर जाएगी। बड़हरिया गांव के उस परिवार के लोग सहम गए कि यदि कटान नहीं रुकी तो उनके मकान कटान की भेंट चढ़ जाएंगे। ऐसे लोग मकान खाली करने की सोचते रहे।
कटान के मुहाने पर है बड़हरिया गांव
करंडा। गंगा के जलस्तर में तेजी से वृद्धि होने से कटान का कहर भी शुरू हो गया। बड़हरिया गांव में दर्जनों किसानों की भूमि कटकर गंगा में समाहित हो गई। गंगा भूमि को काटते हुए तेजी से बड़हिया गांव में आबादी की तरफ बढ़ती रही। इससे गोविंद, कपिलदेव, हरिदयाल, कमला, दयाशंकर, तेजनरायन, देवनरायन, बसगित आदि के इस माथे पर इस बात से तनाव व्याप्त हो गया कि यदि कटान की रफ्तारी इसी तरह से जारी रही तो उनकी भूमि भी गंगा में समाहित हो जाएगी। ये लोग कटान की रफ्तार नजर रख रहे। ताकि गंगा के मकान के पास आने से पहले परिवार सहित मकान को खाली कर सकें

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