ग़ाज़ीपुर

गाजीपुर:प्रखर समाजवादी चन्द्रिका यादव की पीड़ा

कल के समाजवाद और आज के समाजवाद में अंतर- गाजीपुर:मित्रों जो कल का समाजवाद था,उस समाजवाद में लोग कार्यकर्ताओं और नेताओं को पहचानते थे और कार्यकर्ता और नेता अपने बूथ पर खड़ा होकर के अपने नेता के लिए वोट देते थे और वोट दिलवाते थे। आज के समाजवाद में जहां-जहां नेतृत्व जाता है वहां जाकर के अपना भौ काल दिखा करके नेता के बगल में फोटो खिंचवा करके, गांव में, शहर में, क्षेत्र में, रिश्तेदारी में यह साबित करते हैं कि हम बहुत करीबी हैं, भीड़ इतना होती है कि नेतृत्व देखकर के खुश होता है कि यह लोग हमें बहुत पसंद करते हैं । जब चुनाव होता है तो यह भीड़ अपने बूथ पर वोट देने नहीं जाती है,न ही वोट दिलवाती है, यह भीड़ केवल नेतृत्व जिस जनपद में भाषण देता है वही जाकर के अपना चेहरा दिखाती है, कल के नेता जो अपने पढ़े लिखे, योग्य, विद्वान लोगों को खोज खोज करके पद देती थी ।आज के समाजवाद में योग्य पढ़े लिखे विद्वान लोग नहीं बल्कि ऐसे ऐसे लोगों को लोग पद दिलवा देते हैं जिसका कोई जोड़ नहीं है या तो जनता देखकर के हंसती है या लोग देखकर के इसको हलके में मजाक उड़ाते हैं। यह बात कुछ लोगों को दल विरोधी महसूस होगा, कुछ लोगों को सच्चाई,अच्छा लगेगा जो लोग दल के प्रति वफादार होंगे, दल के प्रति जिम्मेदारी महसूस करेंगे तो इस पर चिंतन मंथन करेंगे जो लोग दल के प्रति गद्दार होंगे,दल के प्रति ईमानदार नहीं होंगे वह नेतृत्व को यह बताएंगे कि फला व्यक्ति दल के खिलाफ लिखता है फला व्यक्ति दल के खिलाफ बोलता है दल से निकाल देना चाहिये। ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। यह दो तरह के समाजवाद को लेकर के आज राजनीति हो रही है। पुराने समाजवाद के पूर्वजों की सूची बना लीजिए आज के पूरोधाओं की सूची बना लीजिए, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा दोनों के समाजवाद में अंतर आपको समझ में आ जाएगा,कल के लोग अपनी बात को दमदारी से रखते थे आज के लोग अपनी बात को दमदारी से न करके बल्कि नेतृत्व के इशारों को जो नेतृत्व चाहता है हां में हां मिला करके धन कमाने का चेष्टा रखते हैं, दल और समाज के प्रति कोई चेष्टा नहीं है जिसका परिणाम चार चुनाव हुए कल चुनाव में जो भीड़ का अंबार लगा हुआ था लेकिन वह भीड़ वोट में तब्दील नहीं हो पाई। पिछले चुनाव में पीठ भले कोई थपथपाए, वह अलग बात है। अभी जिला, पंचायत, ग्राम प्रधान और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव होने जा रहा है पिछले बार भी ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत, ग्राम प्रधान का चुनाव हुआ था बुरी तरह से जनपद में हारने के बाद इसमें किसी ने कोई समीक्षा नहीं की, न हीं नेतृत्व ने इसे पर गंभीरता लिया और यही जो 26 का चुनाव 27 का नीव डालेगा. इसलिए 27 मिशन को सफल करने के लिए 26 में जनपद वाइज चिंतन मंथन और संगठन को मजबूत, बूथ को मजबूत करने के लिए अन्य नए लोगों को, पढ़े-लिखे लोगों को भी अच्छी से अच्छी जगह देने के लिए विचार करना होगा। 27 का चुनाव इतना आसान नहीं है आज चट्टी चौराहा पर अगर सर्वे कर लिया जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा, नेता को धोखा देना अपने को धोखा देना है, जो व्यक्ति नेतृत्व को सही क्षेत्रीय जानकारी देता है, वही दल का वफादार होता है, जो झूठ बोलकर के नेतृत्व को गुमराह करेगा वह दल का वफादार नहीं हो सकता। अच्छी बातें हमेशा कड़वी लगती है।
जय हिंद, जय भारत, जय समाजवाद
चन्द्रिका यादव गाजीपुर