ग़ाज़ीपुर

गाजीपुर : इंडिया एलायंस का कबाड़ा करने में कांग्रेस के क्षेत्रीय नेताओं की अहम भूमिका है

गाजीपुर:दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की पराजय और भारतीय जनता पार्टी की 27 वर्षों बाद दिल्ली की सत्ता पर वापसी की कहानी बहुत रोचक है। वर्ष 2014 में जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने इसके बाद से ही केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी और उसके संयोजक सहित तमाम नेताओं की ईमानदार छवि को दागदार बनाने का कई वर्षों तक लगातार प्रयास किया और अंततः भारतीय जनता पार्टी अपने इस प्रयास में सफल हुई और दिल्ली राज्य की सत्ता पर वर्ष 2025 में काबिज होने में सफल हुई।इस विजय के बाद जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी के नेता जश्न मना रहे हैं उसको देखकर लगता है कि अमेरिका ने जिस तरह से अवैध प्रवासी भारतीयों को जिस तरह से हथकड़ी और बेंडी लगाकर भारत भेजा है उस अपमान का बदला केंद्र की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी को पराजित कर ले लिया है।

सत्ता में हमेशा न कोई राजनीतिक दल रहा है ना रहेगा। सत्ता का स्वरूप ही परिवर्तनशील होता है जहां आम आदमी पार्टी की पराजय से भारतीय जनता पार्टी का खुश होना स्वाभाविक है वहीं कांग्रेस पार्टी का खाता नहीं खुलने के बाद भी आम आदमी पार्टी की पराजय से खुश होना काफी रोचक है।भारतीय जनता पार्टी को केंद्र की सत्ता से पदच्युत करने के लिए देश के तमाम विपक्षी दलों ने इंडिया एलायंस नमक एक गठबंधन का स्वरूप तैयार किया और बीते लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के बैनर तले तमाम राजनीतिक दलों में लोकसभा का चुनाव लड़ा और 400 के पास का नारा देने वाली भारतीय जनता पार्टी लोकसभा की मात्रा 240 सीटों पर सिमट गई। अंततः उसे केंद्र में सत्तारूढ़ होने के लिए चंद्रबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सहारा लेना पड़ा।

इंडिया एयरलाइंस में कांग्रेस सबसे बड़ा दल थी है और रहेगी लेकिन इंडिया एयरलाइंस में उस समय खट्टास  पड़ गया जब लोकसभा के चुनाव में पश्चिम बंगाल में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस में सीटों के बंटवारे पर बात नहीं बनी और दोनों अलग-अलग लड़े चुनाव लड़ें।इसके बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस से गठबंधन कर हरियाणा विधानसभा का चुनाव कुछ सीटों पर लड़ना चाहती थी लेकिन हरियाणा के क्षेत्रीय कांग्रेसी नेताओं के अहम के कारण आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन नहीं होने दिया और दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़े और इसका जबरदस्त फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिला और हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने अकेले दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली। लोकसभा चुनाव में दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने विजय हासिल कर लिया। वर्तमान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अलग-अलग लड़े और इसका भरपूर फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिला जहां भारतीय जनता पार्टी को 48 सीट मिली वहीं आम आदमी पार्टी को 22 सीट मिली। 12 ऐसी सीट हैं जिन पर जितना वोट कांग्रेस के उम्मीदवारों को मिला उससे भी काम वोटो से आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट हार गए ‌ ऐसी सीट हैं नई दिल्ली, छतरपुर, जंगपुरा, बादली, त्रिलोकपुरी, ग्रेटर कैलाश , नांगलोई, तिमारपुर, मालवीय नगर, राजेंद्र नगर, संगम विहार ,दिल्ली कैंट है।दिल्ली विधानसभा का चुनाव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, बिहार के राजद नेता तेजस्वी यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसे क्षेत्रिय दलों के लिए अभी से चेतावनी है कि कांग्रेस कभी नहीं चाहेगी क्षेत्रीय दल आगे बढ़े और भारतीय जनता पार्टी हमेशा चाहेगी की क्षेत्रीय दल अपनी अस्मिता को बरकरार रखें ताकि उसे वोटो के बंटवारे का लाभ मिले‌। इंडिया एलायंस का कबाड़ा करने में कांग्रेस के क्षेत्रीय नेताओं की अहम भूमिका है।(यह लेखक के अपने विचार हैं,आप सहमत या असहमत होने का पूरा अधिकार रखते हैं)