गाजीपुर-पं.दीनदयाल उपाध्याय रहस्यमय मौत

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गाजीपुर-पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 दिसम्बर 1916 को हुआ।पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय तथा माता का नाम रामप्यारी देवी था।जन्म स्थान नगला चंद्रभान ग्राम जनपद मथुरा में हुआ था ।उनके पिता जलेसर रेलवे स्टेशन पर सहायक स्टेशन मास्टर थे ।उनके पिता का सरकारी नौकरी में स्टेशन मास्टर होने के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान पर अक्सर स्थानांतरण होता रहता था। जिसके कारण दीनदयाल उपाध्याय अपने पिता के साथ न रहकर अपने नाना चुन्नीलाल के यहां रहते थे। जब दीनदयाल उपाध्याय की आयु 3 वर्ष थी तभी उनके पिता का निधन हो गया, जिसके कारण उनकी मां अक्सर बीमार रहने लगी और टीवी जैसे घातक बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई। दीनदयाल उपाध्याय पिलानी ,आगरा तथा प्रयाग से शिक्षा प्राप्त की। वे कॉलेज के दिनों से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता थे। वर्ष 1937 मे राष्ट्रीय सेवक संघ से जुड़े जहां उन्होंने संघ के संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार से बातचीत की और संगठन के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की ।उन्हें भारत की उच्च स्तरीय परीक्षा सिविल सेवा की परीक्षा पास की लेकिन आम जनता की सेवा के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने सिविल सेवा परीक्षा का त्याग कर दिया। दीनदयाल उपाध्याय ने न नौकरी और न ही विवाह किया,बल्कि संघ का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए 40 दिवसीय शिविर में भाग लेने के लिए नागपुर चले गए। 1951 में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जब भारतीय जनसंघ की स्थापना की तो दीनदयाल उपाध्याय को प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया।15 वर्ष तक महासचिव के रूप में जनसंघ की सेवा की और दिसंबर 1967 में भारतीय जनसंघ के 14 में वार्षिक अधिवेशन कालीकट ने उन्हें भारतीय जन संघ का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 1940 के दशक में लखनऊ से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका राष्ट्रधर्म मे उन्होंने पत्रकार के रूप मे भी कार्य किया।उन्होंने कई साहित्यिक रचनायें भी किया जैसे सम्राट चंद्रगुप्त, जगतगुरु शंकराचार्य ,अखंड भारत क्यों, राष्ट्रीय जीवन की समस्याएं, राष्ट्र चिंतन इत्यादि।

रहस्यमय मौत-पंडित दीनदयाल उपाध्याय की रहस्यमय मौत 10/11 फरवरी 1968 की रात्रि मे मुगलसराय रेलवे स्टेशन के यार्ड में हुई। 11 फरवरी की प्रातः 4 बजे सहायक स्टेशन मास्टर को खंभा नं०1276 के पास कंकड़ पर पडी हुई लाश की सूचना मिली।शव जब प्लेटफार्म पर लाकर रखा गया तो लोगों की भींड मे कोई चिल्लाया ” अरे , यह तो भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष दीनदयाल उपाध्याय है” इनके मृत्यु की सुचना मिलते ही पुरे देश मे शोक की लहर दौड गयी।

सरकारें आती रही और जाती रही लेकिन पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे महापुरुष के रहस्यमय मौत आज तक पर्दा उठाने में नाकामयाब रही।

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