गाजीपुर- मेरी छोटी बहन मधु राय की शादी आज 4 मई के दिन ही हुई थी-लेकिन – – –

प्रिय
इन आंखों के रास्ते जरा दिल में उतर कर तो देखो।
हाथ छुड़ा हर पल चाहते हो भागना , कुछ पलों को ही सही मेरे दिल के आशियाने में रूककर तो देखो ।
हर पल सिमेटे रहते हो खुद को खुद में , कुछ पलों को जरा बहक कर तो देखो ।
कितनी खूबसूरत है ये वादियां , कुछ पलों को रूक कर तो देखो।
इनको अपनी बलिष्ठ भुजाओं में समेटे कर तो देखो ।
ये आंखें मेरी इश्कें वफ़ा का आइना है, इनमें जरा गौर से देखना , इनमें तेरा ही अक्श़ तेरा ही है ।
प्रिया,
शायद महसूस कर रहा हूं कि मैं तेरा गुनाहगार,,,,,,,,,
तेरी इन बिखरी जुल्फ़ों का , इन सूनी-सूनी मांग का,,,,,,,इन सूखे लबों का,
सपने संजोए इन आंखों का,।
तुम समझ सको तो हवाओं के रुख से समझ लेना कि तेरा पिया तेरे साथ आस पास ही है ।
प्रिय समझती हूं मैं तुमको तुमने कब चाहा था
छोड़ कर जाना हमको। पर,,,,,,,,, विधाता के आगे
कब किस का वश चला है विरह का ग़म क्या होता है मुझसे बेहतर कौन जान सकता है ।
आज़ भी ये मदहोश आंखें तेरे प्यार में रंगी इंतजार कर रही है तेरी,,,,,,
गए तो गए,,, पर,,,,,, एक कसक़ आज़ भी दिल में छोड गए।
काश,,,,,,,,कि जाते जाते एक बार अलविदा तो कहगए होते आंखों से आंखों से आंखों में देख कर मोहब्बत औ जीने का पैगाम तो दे जाते ।