गाजीपुर-विभागीय 10 लाख डकार गये नाजिर

गाजीपुर- कोविड-19 के जबरदस्त प्रकोप के दौरान जहां एक तरफ जिला ही नहीं पूरे विश्व में हाहाकार मचा हुआ था उस दौरान कलेक्ट्रेट के नजारत का सबसे जिम्मेदार बाबू जिसे नाजिर बाबू कहते हैं, वह गबन करने की कठिन परीक्षा को पास कर लिया। उसने नजारत के करीब 10 लाख को बिना पानी के ही घटक लिया और डकार तक नहीं लिया।इसका खुलासा तब हुआ जब आडिट शुरू हुई ।नाजिर बाबू की कारस्तानी जानने के बाद तत्कालीन डीएम के होश उड़ गए। उन्होंने तत्काल ही घोटालेबाज नाजिर बाबू को उसके पद से हटा दिया और प्रकरण की जांच करने का जिम्मा मुख्य विकास अधिकारी को सौंप दिया।वर्तमान में मुख्य विकास अधिकारी श्री प्रकाश गुप्ता 10 लाख के घोटाले की फाइल पर जमी वर्षों की धूल हटाने में जुटे हुए हैं।वर्ष 2020-21 के दौरान सदर नाजिर के पद पर कार्यरत प्रेमानंद सिन्हा ने अपने अनुभाग में आए किसी कार्य के बजट में से 10 लाख रूपये का घोटाला कर दिया। सूत्र बताते हैं कि इस बात की जानकारी तत्कालीन डीएम व विभाग के अधिकारियों को तब हुई जब वार्षिक आडिट हुआ।आडिट में गड़बड़ी पकड़ी गयी।नाजिर बाबू ने तो अपने हाथ खड़े कर दिए लेकिन बाद में विभागीय जांच के दौरान उनकी एक काफी मोटी फाइल बनकर तैयार हो गई।नजारत विभाग में 10 लाख रुपए की हेराफेरी कर सनसनी फैला देने वाले बाबू का नाम हर किसी की जुबान पर आने लगा। क्योंकि जिस समय यह गड़बड़ी पकड़ में आई उस समय करोना का प्रकोप फैला हुआ था, इसीलिए घोटाले बाजी का प्रकरण आम जनता में नहीं फैला और डीएम के निर्देश पर जांच कमेटी बना दी गई। इस कमेटी के मुखिया सीडीओ बनाए गए। सूत्र बताते हैं कि घोटाले में फंसे नजारत बाबू प्रेमानंद सिन्हा को पूरा यकीन था कि इस जांच की आंच में वह झुलसेंगे नहीं लेकिन जांच की आंच इतनी तेज हो जाएगी उन्हें इसकी कतई उम्मीद नहीं थी। विभागीय सूत्र बताते हैं कि जांच में नजारत बाबू की गर्दन फंसने की पूरी उम्मीद है। नजारत बाबू का पूरा काला चिट्ठा वर्तमान समय में सीडीओ के पास मौजूद है।वर्तमान में प्रेमानंद सिन्हा राजस्व सहायक के पद पर कार्यरत हैं। मुख्य विकास अधिकारी से इस जांच के संबंध मे जब पूछा गया तो उन्होंने कहा ” हा़ं सदर नाजिर रहे प्रेमानंद सिन्हा की जांच की फाइल मेरे पास है। जांच कमेटी के लोगों ने लगभग अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है।चार सदस्य टीम की मानिटरिंग मेरे द्वारा की गई है। मामला 10 लाख रुपए के गबन का है। वार्षिक आडिट के दौरान यह गड़बड़ी पकड़ी गई थी, जल्द ही जांच रिपोर्ट के आधार पर फाइनल रिपोर्ट तैयार कर जिलाधिकारी को सौंप दिया जाएगा। इसके बाद आगे की कार्यवाही उच्चाधिकारी करेंगे”। साभार-डेली न्यूज एक्टिविस्ट