ग़ाज़ीपुर

गाजीपुर: हजारों फर्जी जन्म मृत्यु प्रमाणपत्र हुए निर्गत

गाजीपुर:एक बार फिर जखनियां तहसील की तरह ही मरदह ब्लॉक के एक सेक्रेटरी के द्वारा निरंतर लगभग 1 साल से अधिक समय तक जन्म मृत्यु प्रमाणपत्र निर्गत किए गए।फर्जी प्रमाण पत्रों के कई दस्तावेज का मामला निकलकर सामने आया है । प्राप्त जानकारी के अनुसार 21 फरवरी 2024 को ही पुर्व ग्राम पंचायत अधिकारी नवीन सिंह का ट्रांसफर बाराबंकी जिले में हो गया था , जिसके उपरांत ग्राम पंचायत अधिकारी नवीन सिंह ने अपना कार्यभार ग्राम पंचायत अधिकारी मनोज यादव को सौंप दिया था और वह बाराबंकी के लिए रवाना हो गए। वहां उन्होंने बाराबंकी के हैदरगढ़ ब्लॉक में जाकर अपना कार्यभार भी ग्रहण कर लिया।सूत्रों के अनुसार नवीन सिंह के जाने के बावजूद भी ग्राम पंचायत अधिकारी मनोज यादव ने उनके द्वारा प्रयोग किया हुआ आईडी , पासवर्ड व डिजिटल सिग्नेचर पर लगभग बीते 1 वर्ष से भी अधिक समय तक लगातार फर्जी जन्म मृत्यु प्रमाणपत्र निर्गत किया है। पूर्व ग्राम पंचायत अधिकारी का ट्रांर्सफर 21 फरवरी 2024 को ही मरदह ग्राम पंचायत से किया जा चुका है ।जबकि सूत्रों के अनुसार यह भी जानकारी मिली है कि ग्राम पंचायत अधिकारी मनोज यादव ने अपना कार्यभार जनवरी 2024 से ही ग्रहण कर लिया था , इसके बावजूद उन्होंने अपने आईडी और पासवर्ड का इस्तेमाल ना करते हुए गैर जिम्मेदाराना तरीके व पुर्ण रूप से पूर्व ग्राम पंचायत अधिकारी नवीन सिंह के आईडी पासवर्ड और सिग्नेचर का निरंतर जानबूझकर अवैध रूप से इस्तेमाल किया है ।इस बाबत जब पूर्व ग्राम पंचायत अधिकारी नवीन सिंह से दूरभाष के माध्यम से वार्तालाप की गई तो उन्होंने बताया कि हमें भी इस बात की जानकारी मिली है और हमने खंड विकास अधिकारी बाराबंकी के माध्यम से गाजीपुर जनपद के मरदह के खंड विकास अधिकारी कौशतुभ मणि पाठक को लिखित शिकायत पत्र रजिस्ट्री के माध्यम से किया है जो की 30 अप्रैल 2025 को उनके कार्यालय पर रिसीव हो चुका है। इसके साथ ही हमने टेलिफोनिक वार्तालाप के द्वारा भी हमारे आईडी पासवर्ड व सिग्नेचर का गलत इस्तेमाल होने की जानकारी उन्हें दे दी है ।इस बाबत मरदह ब्लॉक के खंड विकास अधिकारी कौस्तुभमणि पाठक से जब 4 मई 2025 को वार्तालाप की गई तो उन्होंने कहा कि हमें इस बारे में किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं है और यह एक जांच का विषय है ।इसके बाद इस संदर्भ में जब मरदह ब्लॉक के एडीओ पंचायत प्रभाकर पांडेय से बात करने के लिए उन्हें जब कई बार फोन किया गया तो उनके द्वारा पहले तो फ़ोन नहीं उठाया गया और इसके लगभग आधे घंटे बाद उनका फोन आया और उन्होंने सीधे पत्रकार का नाम इंगीत करते हुए कहा कि हमें जानकारी मिल गई है कि आप किस बारे में वार्तालाप करना चाह रहे हैं। इसके बाद जब सीधे उनसे इस संदर्भ में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे भी अभी-अभी इस बारे में ही जानकारी मिली है तो मैंने कंप्यूटर ऑपरेटर संजय से तत्काल निर्गत किए गए एक प्रमाण पत्र को मंगाया कर उसकी सत्यता के बारे में जांच कि है जिसमें वर्तमान समय के ग्राम पंचायत अधिकारी की संस्तुति व मेरे सिग्नेचर से वह निर्गत किया गया है।इसके बाद फिर वर्तमान ग्राम पंचायत अधिकारी मनोज यादव से जब इस संदर्भ में वार्तालाप की गई तो उन्होंने कहा कि  इस मामले में बैठकर वार्तालाप कर ली जाएगी ।अंततः जब इस मामले में पत्रकार ने डी. डी. ओ.गाजीपुर सुभाष चंद्र सरोज से वार्तालाप की गई तो उन्होंने कहा कि मुझे इस मामले में कोई जानकारी नहीं है , यह सब कुछ वीडीओ मरदह और एडीओ मरदह के संज्ञान में होता है लेकिन मैं तत्काल इस मामले का संज्ञान लेते हुए वीडीओ मरदह कौस्तुभ मणि पाठक को इस गलती को तत्काल सुधारने के लिए निर्देशित करता हूँ ।ज्ञातव्य हो कि अभी बीते माह 15 अप्रैल को भी आंगनबाड़ी भर्ती में एक बड़े फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ था ।इस मामले में एक जखनिया तहसील के लेखपाल राहुल यादव ने सिपाही की पत्नी सरोज चौधरी निवासी नसीरपुर (जलालाबाद), कंप्यूटर आपरेटर कन्हैया राजभर व CSC संचालक पर फर्जी आय प्रमाण पत्र बनवाने का आरोप लगाते हुए दुल्लहपुर थाना में एफआईआर दर्ज कराई थी । आरोप था कि सरोज ने लेखपाल की आईडी का दुरूपयोग कर बीपीएल आय प्रमाण पत्र बनाया था । जबकि उनके पति उत्तर प्रदेश पुलिस में कार्यरत हैं ।तहसील जांच में पता चला कि आवेदन में गलत घोषणा की गई और वास्तविक आय छुपाई गई थी । उक्त लेखपाल का कहना था कि वह उक्त क्षेत्र में कभी तैनात ही नहीं रहे हैं । सरोज ने यह प्रमाण पत्र कंप्यूटर आपरेटर कन्हैया राजभर व CSC संचालक के मदद से जारी कराई थी।उक्त संबंध में थानाध्यक्ष कृष्ण प्रताप सिंह ने बताया था कि सरोज चौधरी पर पांच धाराओं में एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है ।इस मामले में जिलाधिकारी आर्यका अखोरी ने माना था कि सिर्फ जखनियां तहसील में ही हज़ारो प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से बनाए गए थे ।इसमें फर्जी बीपीएल आय प्रमाणपत्रों के आधार पर आंगनबाड़ी भर्ती प्रक्रिया में बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया था । जिला प्रशासन ने अपनी जांच में पाया था कि कई अभ्यर्थियों ने फर्जी आय और जाति प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी हासिल कर ली थी । 14 लोगों ने अपनी आय 46 हजार रुपये से कम दिखाकर बीपीएल श्रेणी में शामिल होने के लिए फर्जी प्रमाण पत्र बनवाया था इनमें से कुछ अभ्यर्थियों के पति या पिता पहले से ही सरकारी नौकरी में थे , जिससे उनकी वास्तविक आय कहीं ज्यादा थी । इसमें मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) के स्टेनो राधेश्याम यादव की विवाहिता बेटी पूजा यादव का नाम भी इस सूची में शामिल था , जिनके पति सरकारी शिक्षक हैं । उन्होंने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर आंगनबाड़ी में नौकरी पा ली थी और बाद में मामले के उजागर होने पर अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था। इस मामले में सीडीओ ने जिलाधिकारी को पत्र भी लिखा था ।बता दें कि सरकारी कार्यालयों में फर्जीवाड़ा चरम पर है, शिकायत के बाद जांच में पाया गया है कि अकेले जखनियां तहसील में बीआरसी ऑपरेटर ने 9680 प्रमाणपत्र जारी कर दिया है, जिसमें 5849 आय, 1966 लोगों को जाति और 1865 लोगों का गलत ढंग से निवास प्रमाण पत्र बनाया गया था , जिसमें तहसील कैंटीन लेखपालों की आईडी का गलत इस्तेमाल कर फर्जी ढंग से प्रमाणपत्र बना दिया गया था , जिसकी शिकायत के बाद जांच में पोल खुली थी जिसके बाद एसडीएम जखनियां ने बीआरसी ऑपरेटर पर भी एफआईआर दर्ज करा दिया था ।अब देखना यह है कि नवागत जिला अधिकारी अविनाश कुमार अब इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं और उनके द्वारा अब इस फर्जी प्रमाण पत्रों के मामले में आगे क्या कार्रवाई की जाती है ? (सभार-न्यूज 24 लाइव डाट काम)