गाजीपुर-फ्राँड शिक्षा माफिया बनाम जाँच समिति

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गाजीपुर-इस जनपद में ऐसे-ऐसे शिक्षा माफिया हैं जिनके घर में कभी खाने को रोटी नसीब नहीं होती थी लेकिन शिक्षा को इन लोगों ने ऐसा व्यापार बनाया कि आज इनका गांव मे लाखों-करोड़ों की बिल्डिंग के साथ करोड़ो का बैंक बैलेंस हो गया हैं।जिनके परिवार में किसी सदस्य के पास चलने के लिए टूटी साइकिल नहीं थी आज इनके परिवार में लग्जरी फोर व्हीलर वाहनो की लाईन लगी हुई है।कंगाल परिवारीक पृष्ठभूमि के शिक्षा माफियाओं के पास गांव में टूटा फूटा खपरैल का मकान था या झोपड़ी थी लेकिन इन शिक्षा माफियाओं ने फराड़/चार सौ बीसी करके कमजोर ,दलित व पिछड़े वर्ग के बच्चों का खून चूस कर आज इनके पास गांव में बिल्डिंग है, शहर में बिल्डिंग है ।इस शिक्षा माफियाओं के बच्चे आज हिंदुस्तान के महंगे से महंगे स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं ।शिक्षा माफिया गरीब परिवार के बच्चों से मार्कशीट के नाम पर पैसा,स्थानांतरण सर्टिफिकेट के नाम पर पैसा, चरित्र प्रमाण पत्र के नाम पर पैसा,काउंटर साइन के नाम पर पैसा,प्रवेश पत्र के नाम पर पैसा, यहां तक कि प्रैक्टिकल के इक्जामनर के चाय,नास्ते व भोजन के नाम पर भी पैसा वसूलते है।जब से शासन ने इनके भ्रष्टाचार की जांच के लिए समिति का गठन किया है, यह शासन प्रशासन की जांच से बचने के लिए तमाम तरह के नाटक/नौटंकी कर रहे हैं।अगर यह शिक्षा माफिया सही है और गलत नहीं है तो फिर शासन/प्रशासन की जांच से इनकी पेंट गिली क्यों हो रही है ? अगर इनका सब कुछ जायज है/ लीगल है तो इनको सीना ठोक कर कहना चाहिए कि शासन-प्रशासन एक बार नहीं सौ बार जांच करा ले हमें कोई आपत्ति नहीं ? लेकिन भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ी इमारत जाँच के नाम से ही थरथरा रही है। एक ही सोसायटी / टस्ट एक ही भवन को जाँच पैनल को दिखा कर हाईस्कूल, इन्टर मिडिएट,स्नातक, स्नातकोत्तर, बीएड, बीटीसी, डीएलएड, बी.फार्म, डी.फार्मा, नर्सिंग आदि की मान्यता ले रखा है।इस भ्रष्टाचार के खेल में कई पुर्व व वर्तमान माननीय भी सामिल है। अबतक कोविड-19 के चलते महाविद्यालय बन्द थे लेकिन दो नवंबर से महाविद्यालय खुल रहे और शासन-प्रशासन द्वारा चयनित जाँच समिति महाविद्यालयों में जाँच हेतू जायेगी अब देखना काफी रोचक होगा की ये महाविद्यालय मे ताला बन्द करते है या जाँच समिति को जाँच हेतू अभिलेख उपलब्ध कराते है।

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