चन्दे के धन्धे ने , चौपट किया आंगनबाडियों का भविष्य

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लखनऊ- आई.सी.डी.एस. यानी समन्वित बाल विकास परियोजना की शुरूवात सन् 1975 मे हुई। पुरे देश मे इस कार्यक्रम से कई लाख आंगनबाडी कार्यकरतीयाँ और सहायिकायें जूडी हुई है। उत्तर प्रदेश मे आंगनबाडीयों के कई संगठन वर्षो से सक्रिय है लेकिन इन संगठनों का उद्देश्य आंगनबाडी कार्यकरतीयों एवं सहायिकाओं का भला कम और चन्दे की उगाही अधिक है। एक तरफ भारत सरकार इनका जम कर शोषण कर रही है तो दुशरी तरफ प्रदेश सरकार इन से गैर बिभागीय काम का बोझ लाद कर इनकी कमर तोड रही है। उत्तर प्रदेश मे गिरीश पान्डेय ने 1992 मे विद्युत विभाग की सेवा से रिटायर होने के बाद महिला आंगनबाडीं कर्मचरी संघ की स्थापना किया। वर्ष 1990 मे रमेश प्रकाश राव ने उत्तर प्रदेश राज्य आंगनबाडी कर्मचरी संघ की स्थापना किया। राज्य मे सीटू भी सक्रिय है। वर्ष 2016 मे गिरीश पान्डेय के कार्यप्रणाली से नाराज आंगनबाडी कार्यकरतीयों ने गोरखपुर निवासी गीतांजली मौर्य के नेतृत्व मे आंगनबाडी कर्मचारी एवं सहायिका एसोसिएशन उ०प्र० की स्थापना किया। आज उत्तर प्रदेश मे यही एक मात्र संगठन है जो उपर से निचे तक के संगठन मे आंगनबाडी कार्यकरतीयां पदाधिकारी है। वैसे मात्र गीतांजती मौर्या का संगठन ही कार्यकरतीयों के हित के लिये सक्रीय है और गीतांजली के सक्रीयत से अन्य संगठन भी श्रेय लेने के लिये काफी सक्रीय होगये है। अन्य संगठन भी सक्रिय क्यो न हो ,  क्यो कि चन्दे के धन्धे को बचान भी तो है।

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