डा०राजकुमार सिह गौतम की खामोशी और क्षेत्र मे लगातार बने रहने का क्या मतलब है?

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गाजीपुर- बहुजन समाज पार्टी के सिम्बल पर विधान सभा जमानिया से 2007 मे विधायक बने डा०राजकुमार सिह गौतम की गाजीपुर की राजनीति मे धमाकेदार इन्ट्री हुई। विधान सभा क्षेत्रो के नये परिसिमन मे विधान सभा जमानियाँ का दो भागो मे बटवारा हुआ आधा भाग जमानियाँ उस पार जमानियाँ विधान सभा मे और आधा भाग करण्डा ब्लॉक और सदर ब्लॉक के हिस्सा गाजीपुर सदर ब्लॉक मे सम्लित हो गया। नये परिषिमन के आधार पर डा०गौतम ने बसपा के सिंबल पर वर्ष 2012 मे गाजीपुर सदर से चुनाव लडा और लाख सत्ता बिरोधी लहर होने के बाद भी मात्र 241 मत से हारे या हराये गये। बसपा कार्यकर्ताओं मे डा० राजकुमार गौतम की लोकप्रियता अपने चरम पर थी।  वर्ष 2015-2016 मे डा०राजकुमार गौतम को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप लगा कर पहले सदर विधान सभा के प्रभारी पद से हटाया गया और फिर पार्टी से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। काफी दिनों तक पार्टी मे वापसी की उम्मीद मे डा० गौतम ने काफी दिन व्यतीत किया लेकिन बसपा मे वापसी की उम्मीद खत्म होने पर डा०राजकुमार सिह गौतम ने भाजपा का दामन 31 दिसम्बर 2016 को थाम लिया। 2 जनवरी 2017 को लखनऊ मे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिवर्तन महारैली मे 40 बस और 60 चार पहिया बाहन जनता से भर कर ले गये। 6 जनवरी 2017 को डा०राजकुमार गौतम के गाजीपुर मे भाजपाई बन कर प्रथम आगमन पर उने लोगों द्वारा जबरदस्त स्वागत किया गया लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेताओंऔर कार्यकर्ताओं को डा० राजकुमार सिह गौतम के स्वागत समारोह से दुर रहने की सख्त हिदायत भाजपा के गाजीपुर के सुप्रीम बास द्वारा दिया गया था। गाजीपुर सदर सीट से टिकट चाहने वाले अनेक लोगो मे से एक डा०राजकुमार गौतम भी थे। टिकट नही मिलने से  आहत डा० गौतम ने अन्य दावेदारो के तरह धरना प्रदर्शन या पुतला दहन जैसे कार्य से उनके समर्थक दुर ही रहे।  भविष्य मे अच्छा होगा यही मान कर डा०राजकुमार गौतम भाजपा का प्रचार करने के लिए अपने गाजीपुर आवास पडे हुए है लेकिन गाजीपुर के स्थानीय भाजपा नेताओं और खुद गाजीपुर सदर  की भाजपा प्रत्याशी द्वारा प्रचार के लिए सम्पर्क नही करने पर काफी हताश और निराश दिखे। डा०राजकुमार सिह गौतम की खामोशी और लगातार क्षेत्र मे बने रहना , क्या गुल खिलायेगी यह तो समय ही बतायेगा।

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