दलित कांग्रेस नेता डॉ उदित राज का मायावती पर ताजा आरोप

जितना दलित उत्पीड़न उप्र में हो रहा है उतना किसी अन्य प्रदेश में नहीं। बहुजन जागृति की हवा निकला गई है। जागृति असली तब होती जब अपने नेता और कार्यकर्ता को बगल बैठाते न कि जमीन पर , निर्णय लेने की ताक़त दी गई होती , प्रेस में बात रखता , संघर्षमय बनाया जाता , सत्ता में रहते हुवे उनका काम होता , हिस्सेदारी के लिए लड़े होते , हथियारों का लाइसेंस देते । उल्टा ग़ुलाम बनाने का काम किया गया , प्रशासन को बोला गया पार्टी का एमपी, एमएलए और नेता फ़ोन करे या काम लेकर जाये तो मत करना और उसके ऊपर नज़र रखना और बताना । कार्यकर्ता का काम रह गया था बूथ की कमेटी बनाना, चंदा इकट्ठा करना, वोट डालना और डलवाना । वही कार्यकर्ता जब चुनाव लड़ना चाहा तो टिकट के लिए पैसा मांगा गया । बेचारा कार्यकर्ता जीवन दे दिया पार्टी के लिए और कमाया नहीं तो पैसा कहाँ से दे । यह दुर्दशा होना ही था ।चमचा युग पुस्तक लिखी लेकिन उसमें बीजेपी और आरएसएस के ख़िलाफ़ एक जगह कुछ नहीं लिखा और कांग्रेस को ही दुश्मन बताया । कांग्रेस ने मुफ्त में शिक्षा , वजीफ़ा, हॉस्टल दिया । कोटा दिया , भूमिहीनों को भूमि, नौकरी और शिक्षा में आरक्षण और इसके अतिरिक्त तमाम और अधिकार ।अब भी मायावती जी कांग्रेस के ऊपर ही हमला करती हैं और दिखाये के लिए बीजेपी को थोड़ा बहुत छू देती हैं । कांग्रेस सत्ता में है नहीं फिर भी उसी पर किस बात का आक्रमण । महाराष्ट्र में इनको घुसने नहीं दिया लेकिन वहाँ का दलित को कोई छू दे और अत्याचार करना तो दूर की बात है ।