प्रयागराज-अतीक का आतंक अब अंत की ओर

लखनऊ-कानून को 45 साल तक कैसे चकमा दिया जा सकता है यह माफिया अतीक ने साबित कर दिया। 28 मार्च मंगलवार को पहली बार अतीक को सजा हुई तो उसके 45 साल पुरानी जरायम की बुलंद इमारत दरक गई। अब इस इमारत की जमीदोज होने की बारी है।अतीक के खिलाफ दर्ज मुकदमों में अब लगता है लगातार सजा होगी। करीब 45 साल पहले तमंचे से इलाहाबाद के खुल्दाबाद इलाके में मोहम्मद गुलाम को मौत की नीद सुलाने वाले अतीक का राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल और दो पुलिसकर्मियों की हत्या की साजिश रचने का दुस्साहस काफी भारी पड़ गया। अतीक की जरायम की दुनिया का अंत करने के लिए उसके खिलाफ दर्ज मुकदमों की अदालत में पैरवी तेज कर दी गई है।अतीक और उसके गैंग के सदस्यों के खिलाफ अदालत में चल रहे पांच मुकदमे अभियोजन की प्राथमिकता की सूची में आ चुके हैं। इसमें 19 जनवरी 1996 में प्रयागराज के सिविल लाइंस इलाके में अशोक कुमार साहू की हत्या का मामला शामिल है।जिसमे अतीक और अशरफ भी आरोपी है।इसी तरह 2002 में जमीन के विवाद में नसीम अहमद की हत्या के मामले की पैरवी भी तेज कर दी गई है। साथ ही उन दस मामलों की दोबारा समीक्षा हो रही है जिसमे अतीक व उसके साथी दोषमुक्त हो चुके हैं।उल्लेखनीय है कि अतीक के खिलाफ वर्ष 1992 से अब तक 101 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।बीते 1 साल में दर्ज हुए 5 मुकदमों की विवेचना अभी जारी है,जिसने उमेश पाल हत्याकांड भी शामिल है। अतीक पर अब तक हत्या के कुल 12 मुकदमे दर्ज रहे हैं। प्रयागराज के खुल्दाबाद में वर्ष 1984, कौशांबी के पिपरी थाने में वर्ष 2001,और कर्नलगंज मे वर्ष 2002 में हत्या के मुकदमे में वह दोषमुक्त हो चुका है। वहीं 2005 में धूमनगंज थाने में दर्ज मुकदमा राजू पाल हत्याकांड और वर्ष 2002 में खुल्दाबाद थाने में दर्ज मुकदमे नसीम अहमद हत्याकांड में साक्ष्य प्रस्तुत किए जा चुके हैं। वर्ष 1996 में सिविल लाइंस इलाके में दर्ज मुकदमा हाजिरी में लगा है। 1995 में कर्नलगंज थाने में दर्ज हत्या के मामले में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है।साभार-अमर उजाला