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लखनऊ: भाजपा का मुखौटा नारियां ही उतारेंगी, अखिलेश यादव का ट्वीट

देश की हर स्त्री के नाम

भाजपा का मुखौटा नारियां ही उतारेंगी।

आज़ादी से पहले ही भाजपा के पूर्व रूप का ‘चाल, चरित्र और चेहरा’ ऐसा न था कि वो सामने आकर मुँह दिखा सके क्योंकि वो ऐसे काम, वारदात और साज़िश-षड्यंत्र करते थे जो देशभक्ति, नैतिकता और सामाजिकता के पैमाने पर नकारात्मक और अपराधात्मक माने जाने थे। इसीलिए इनकी गतिविधियाँ हमेशा भूमिगत रहकर मुखबिरी के रूप में ही दबे-छिपे चलती रहीं। इसीलिए भाजपा ने कई बार रूप बदला, जिससे ये पहचाने न जा सकें। यही परंपरा आज भी जारी है, जब इनके समर्थक पीठ पीछे से कई अनाम-नाम रखकर अपनी भूमिगत नकारात्मक भूमिका निभाते हैं और उनका विरोध करते हैं, जो इनकी सत्ता के लिए ख़तरा हैं।

मूल रूप से भाजपाई और उनके संगी-साथी, वो लोग रहे हैं, जो सत्ता पर परंपरागत रूप से अपनों को क़ाबिज़ करवाये रखना चाहते थे। इसीलिए राजनीति और अर्थव्यवस्था पर जिन लोग का सदियों से वर्चस्व रहा है, उन लोगों ने परदे के पीछे से भाजपाइयों और उनके संगी-साथियों का हमेशा से ‘बल-धन’ और ‘धन-बल’ से साथ दिया। भाजपाइयों ने कभी नहीं चाहा कि कोई और वर्ग या तबका राजनीतिक और आर्थिक रूप से शक्तिशाली हो। इसके साथ ही भाजपाइयों ने कभी ये भी नहीं चाहा कि जनता के अधिकार की बात हो। इसीलिए ये जनता को शक्ति देनेवाले संविधान के भी विरोधी रहे।

भाजपाई ‘जिसकी शक्ति, उसके अधिकार’ की रूढ़िवादी सोच के लोग हैं, इसीलिए सामाजिक क्षेत्र तक में ये शोषित, दमित, वंचित, पीड़ित के साथ-साथ महिलाओं को भी हमेशा हेय दृष्टि से देखते हैं। पुरुषवादी सामंती सोच आज भी नारी को मान, सम्मान या अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं देना चाहती है। भाजपाइयों की यही पुरुषवादी घिसीपिटी पुरानी सोच ‘आधी आबादी’ अर्थात महिलाओं का मान नहीं करती है बल्कि बालिका, युवती या नारी के रूप में, जब भी वो कुछ कहना-करना चाहती हैं, तो भाजपाई और उनके संगी-साथी सदैव वो मौका ढूंढते हैं, जब वो स्त्रियों का पारिवारिक, सामाजिक, सार्वजनिक अपमान कर सकें और उनके चरित्र तक पर कीचड़ उछालकर उनका मानसिक उत्पीड़न करके, नारी के विरोध करने की शक्ति के मनोबल को तोड़ सकें। भारतीय नारी का इतिहास इन रूढ़िवादी भाजपाई और उनके संगी-साथियों को इस महापाप के लिए कभी माफ़ नहीं करेगा।

पहलगाम के शहीद सैनिक की पत्नी द्वारा देशहित में ‘शांति और सौहार्द’ की अपील करने पर जिस तरह का दुर्व्यवहार और अपशब्द कहे जा रहे हैं उससे हर महिला और सच्चा देशप्रेमी बहुत दुखी, आहत और शर्मिंदा है। अगर कोई साहसी महिला नैनीताल में भाईचारा बचाये-बनाये रखने की कोशिश कर रही है या कोई गीत के माध्यम से भाजपाइयों का भंडाफोड़ कर रही है या कोई खोजी महिला पत्रकार कोई खुलासा कर रही है तो उसे अभद्रता व अनैतिकता की हर सीमा पार करके धमकाया जा रहा है, उसका लिखा दबाव डलवाकर हटवाया जा रहा है। भाजपा समर्थकों का ये कुकृत्य किसी भी माफ़ी के योग्य नहीं है। ‘निंदनीय’ शब्द भी ऐसे भाजपाइयों और उनके नकारात्मक संगी-साथियों की निंदा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

‘नारी वंदना’ का ढोंग रचनेवाली भाजपाई सोच वस्तुतः नारी विरोधी है। जिन्होंने अपनों को खोया है, असीम दुख की इस घड़ी में उनके साथ खड़े होने का समय है; जो साहस दिखा रही हैं ऐसी महिलाओं के समर्थन में खुलकर सामने आने का समय है; भाजपाइयों और उनके संगी-साथियों की ‘नारी विरोधी’ सोच और संकीर्ण विचारधारा को उजागर करने का वक़्त आ गया है। आज देश की हर बालिका, युवती का यही ऐलान है कि हम भाजपा का महिला विरोधी चेहरा सबके सामने लाएंगे। सच्चाई तो ये है कि जो नारी के मान, गरिमा व प्रतिष्ठा का सम्मान नहीं करता है वो और उसका व्यवहार न तो ‘भारतीय’ हो सकता है, न ही ‘मानवीय’। भाजपा को अपने नाम में ‘भारतीय’ लगाने का नैतिक अधिकार भी नहीं है।

इस संदर्भ और परिप्रेक्ष्य में हमारी पुरज़ोर अपील है कि महिला आयोग शाब्दिक औपचारिकता न निभाए और अगर कहीं है तो अपनी शक्ति दिखाए,।

कहीं है? कोई है?