लखनऊ-मुख्तार के शूटर का एनकाउंटर में और मानवाधिकार आयोग

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लखनऊ। जेल में बंद माफिया डॉन और विधायक मुख़्तार अंसारी के शूटर राकेश पांडेय उर्फ हनुमान के एनकाउंटर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी एच०सी० अवस्थी को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है। आयोग ने जबाब दाखिल करने के लिए 6 हफ्ते का समय दिया है। यूपी एसटीएफ ने 9 अगस्त 2020 को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में राकेश पांडे को एनकाउंटर में मार गिराया था। मुख्तार गैंग का सक्रिय सदस्य राकेश पान्डेय 01 लाख का इनामी था और बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय के हत्या आरोपियों में से एक था।वैसे जो भी शख्स राकेश पांडे को बचपन से जानता था, वो एक पल भी यकीन नहीं कर पाता था कि एक दिन वो इतना बड़ा अपराधी बनेगा। यूपी के चर्चित हत्याकांड का मुख्य आरोपी बनेगा और उस पर हत्या, समेत कई मुकदमे अलग-अलग जिलों में दर्ज होंगे। सुनने में यह अजीब भले ही लगे लेकिन राकेश पांडे उर्फ हनुमान की कहानी कुछ ऐसी ही है। राजधानी लखनऊ ने उसके दिल में छिपी दबंगई की हसरत को मनचाही मुकाम दिया। यहीं उसे मुन्ना बजरंगी का साथ मिला और फिर एक वक्त ऐसा भी आया जब हमले के बाद मुन्ना बजरंगी का नाम जरायम की आग उगलती दुनिया में ठंडा पड़नें लगा तब मुख्तार अंसारी का सिर पर हाथ पाने के बाद हनुमान का चेहरा जरायम की दुनिया मे बहुत तेजी से सुर्खियों में आया। हनुमान मूलतः मऊ जनपद के कोपागंज थाना क्षेत्र के गांव लिलारी भरौली का रहने वाला था। पिताजी बलदत्त पांडे भारतीय सेना में कार्यरत थे। पिताजी बहुत सख्त स्वभाव के थे। घर परिवार में अनुशासित माहौल था। शायद इसीलिए स्वभाव से दबंग राकेश गांव में दसवीं तक की पढ़ाई करने के दौरान एक सीधा-साधा और भोलाभाला लड़का बनकर ही रहा। हाईस्कूल के बाद पॉलीटेक्निक करने के लिए राकेश पांडे लखनऊ चला गया और यहीं से राकेश की जिंदगी ने यू टर्न लिया। नवाबों के शहर ने राकेश के अंदर छिपी हनक व दबंगई को खुला आसमान ने दिया और कालेज से शुरू रंगबाजी धीरे-धीरे पूरे इलाके में फैलाने लगी। इसी दौरान लखनऊ में एक मर्डर होता है और उसमें राकेश पांडे का नाम आता है। यहीं से जुर्म के दुनियां की किताब में राकेश पांडे का नाम रजिस्टर्ड होता है।मर्डर में आरोपित होते ही वह बाहुबलियों की नजर में भी आ जाता है। राकेश जेल चला जाता है, लेकिन इस केस के बाद भी जरायम की दुनिया में उसके नाम की वह हनंक नहीं बन पाती है जो वह चाहता है। वर्ष 1998 में दिल्ली में हुई एक मुठभेड़ में प्रेमप्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी को कई राउंड गोलियां लगती है। जानकारों के अनुसार इस मुठभेड़ के बाद मुन्ना बजरंगी बहुत दिनों तक अस्पताल में मरणासन्न हालत में पडा रहा। इस वजह से पूर्वांचल समेत पूरे देश में मुन्ना बजरंगी के गिरोह की जमीन कमजोर हो गई। मुन्ना बजरंगी जब ठीक हुआ तो उसने फिर से अपने गिरोह को खड़ा करने की कोशिशें तेज किया।उसे जुर्म की दुनिया में कुछ ऐसे नौजवान की तलाश थी जो शातिर भी हों और अच्छे शूटर भी हो। यही वो वक्त है जब अभय सिंह जेल में बंद राकेश पांडे की मुलाकात मुन्ना बजरंगी से कराता है। यहीं से राकेश पांडे को मिलता है मुन्ना बजरंगी का साथ और अपने सर पर हांथ। बजरंगी का साथ पाकर राकेश पांडेय ताबड़तोड़ कई वारदातों को अंजाम देकर चर्चा में आ जाता है।राकेश पान्डेय के कारनामों खुश मुन्ना बजरंगी एक दिन राकेश की मुलाकात बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी से करवाता है। जेल में अधिक भोजन करने और राकेश की सेवा से खुश होकर मुख्तार अंसारी राकेश पांडे को हनुमान का नाम दिया। 29 नवंबर 2005 का वह दिन जिस दिन समूचा पुर्वांचल दहल जाता है।इस दिन गाजीपुर के मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र के भांवरकोल ब्लॉक के सियाड़ी गांव में एक खेल प्रतियोगिता का उद्घाटन करने पहुंचे थे तत्कालीन मुहम्मदाबाद से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय। उनके साथ उनके कई सहयोगी भी थे। कार्यक्रम के समापन के बाद वह और उनके साथ के लोग एक काफिले में वापसी के लिए निकलते है।बासनिया गांव से आगे बढ़ने पर एक गाड़ी अचानक उनके काफिले के आगे रुकी। जब तक कोई कुछ समझ पाता गाड़ी से निकले सात-आठ लोगों ने स्वचालित असलहों से विधायक कृष्णानंद राय की गाड़ी पर फायरिंग शुरू कर दी। चारो तरफ से हुई गोलियों की बौछार में गाड़ी में सवार सभी सातों लोग मारे गए थे। मरने वालों में विधायक कृष्णानंद राय, गनर निर्भय उपाध्याय, ड्राइवर मुन्ना यादव, रमेश राय, श्याम शंकर राय, अखिलेश राय और शेषनाथ सिंह शामिल थे। कहते हैं कि हमलावरों ने 6 एके-47 राइफलों से 400 से ज्यादा राउंड गोलियां चलाई थीं। मारे गए सातों लोगों के शरीर से 67 गोलियां बरामद की गईं। पूर्वांचल की ये पहली वारदात थी, जिसमें एके-47 का इस्तेमाल हुआ।इस हत्याकांड के आरोपियों में एक नाम राकेश पांडे उर्फ हनुमान का भी बाद में जोड़ा गया। बस यहीं से राकेश पांडे उर्फ हनुमान जुर्म की दुनिया का बड़ा नाम हो गया।

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