लालू यादव,सी०बी०आई०,नितीस और भाजपा का राजनैतिक खेल

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राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उन के परिवार के खिलाफ सी०बी०आई० की  सक्रियता भारत के मिडिया,राजनिति और आम जनता मे कौतूहल का बिषय बना हुआ है। बहुत पहले उच्चतम न्यायालय ने सी.बी.आई. को पिजरे मे बन्द तोता कहा था , इस का मतलब था कि केन्द्र सरकार जितना कहेगी सी.बी.आई. उतना ही कहेगी और करगी।  वर्तमान समय मे लालू प्रसाद भाजपा के खिलाफ पुरे देश मे महागठबंधन बनाने के अभियान मे जूटे हुए है तो दुशरी तरफ भाजपा उनके इस अभियान को बिफल करने के लिये साम दाम दंड और भेद सभी तरिके अपना रही है। भाजपा की चाल बडी सीधी है , सी.बी.आई. से लालू और उनके परिवार के लोगो पर छापे मारी कराओ और मिडिया के माध्यम इतना अधिक बदनाम कराओ कि अन्तत:नितीस कुमार लालू का साथ छोड दे और भाजपा के साथ आ जाये।  भाजपा की दुशरी परेशानी  उत्तर प्रदेश को लेकर  , भाजपा कभी नही चाहेगी कि बसपा और सपा एक हो कर वर्ष 2019 का लोक सभा चूनाव लडे। भाजपा  समर्थक लालू प्रसाद के भ्रष्टाचार की बात तो करते है लेकिन जब नोट बंन्दी के दौरान  महेश शाह के पास पकडे गये 13860 करोण की,व्यापम की, ललित मोदी, चिकी घोटालो की जाँच मे सी.बी.आई. निष्क्रीयता  , सी.बी.आई. की निष्पक्षता पर सवाल खडे कर देता है।

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