शिवपाल का सेक्यूलर मोर्चा और भाजपा की खुशफहमी

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शिवपाल यादव के मोर्चा गठन से यदि कोई खुश है तो वह है भाजपाई । भारतीय जनता पार्टी के समर्थकों और कार्यकर्ताओं को लगता है कि शिवपाल यादव के सेक्युलर मोर्चा गठन से भारतीय जनता पार्टी को लाभ होगा। ऐसी पार्टियां या मोर्चा भारतीय जनता पार्टी के लिए सदैव घातक साबित हुआ है । जहां तक सवाल शिवपाल यादव के सेकुलर मोर्चा के गठन से यादव मतदाताओं के मतों में बिखराव की बात है तो वह कहीं से होता दिखाई नहीं दे रहा है। वर्तमान समय में यादव मतदाता अखिलेश यादव की पीछे पूरी तरह से डट कर खड़ा है , हां हो सकता है शिवपाल यादव के मोर्चे में कुछ अन्य जातियों के छोटे-मोटे दल जुड़ जाएं और उन दलों के जातिगत मतदाता इस मोर्चा को मतदान कर दें, लेकिन इन जातियों के भरोसे बसपा-सपा गठबंधन को उत्तर प्रदेश मे हराना काफी कठीन है। अभी सेकूलर मोर्चा एक सोच भर है ।धरातल पर क्या रूप रंग होगा, कौन-कौन दल इस मोर्चे मे सामिल होगे,कौन कितने सीट पर लडेगा अभी बहुत कुछ बाकी है।यदि मान भी लें कि चौहानों की पार्टी,निषादों की पार्टी, कुर्मियों की पार्टी , बिन्दों की पार्टी जैसी और भी पार्टीयां सेकूलर मोर्चे में सामिल हो जायेगी तो भाजपा को फायदा के जगह नुकसान अधिक होगा । लगभग अधिकांश पिछडी जातियां यादव मतदाताओं के उत्पात और दबंगई से चिढती है और इसी के प्रतिकार स्वरूप बसपा या भाजपा को मतदान करती है। उत्तर प्रदेश में बर्तमान समय मे अखिलेश यादव ,यादवों के एकमात्र नेता है जिनके पीछे शतप्रतिशत मतदाता है। अखिलेश के खिलाफ जब-जब शिवपाल यादव का बयान आया यादवों ने दबी जुबान मे आलोचना किया। शिवपाल भी इस स्थिति से भली-भांती अवगत है।

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