लखनऊ – उत्तर प्रदेश मे सत्तारूढ भाजपा को जितना प्रचंड जनादेश वर्तमान मे भाजपा को मिला है ,उतना तो राम लहर मे भी नही मिला था। वर्ष 2000 से 2002 तक उत्तर प्रदेश के भाजपा के सी०एम० राजनाथ सिह ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के जनाधार मे सेंध लगाने के लिए ,एक बहुत ही मत्वपुर्ण फार्मुले को तलासा था। उस समय के मुख्यमंत्री राजनथ सिह ने पिछडे वर्ग के सरकारी सेवाओं मे 27 % आरक्षण को दो भाग मे बांटने का फार्मुला तैयार किया था , जीसको नाम दिया गया था पिछडा और अतिपिछडा । पिछडे वर्ग मे यादव जैसी कुछ जातियों को 7 % और अतिपीछडा जातियो मे लोहार,कुम्हार, बिन्द ,पाल, पटेल ,निषाद ,चौरसिया,चौहान, आदि जातियों को 20 % के आरक्षण मे समाहित कर अधिक से अधिक सरकारी सेवाओं का लाभ देने का प्लान था। ईसी प्रकार अनुसुचित जाति के आरक्षण मे बटवारा कर के दलित और अतिदलित के नाम पर दो भागों मे बांट कर चमार, मिडा जैसी जातियो को 5 % आरक्षण दे कर शेष आरक्षण मे धोबी,पासी,पासवान, रावत (हलखोर ) स्वीपर आदि जातियो को आरक्षण का लाभ दे कर अधिक से अधिक सरकारी सेवा मे न्यूक्ति लाभ दे कर भाजपा के पाले मे लाने का प्लान था। राजनाथ सिह के इस प्लान को सत्यानाश करने मे उन्ही के मंत्रीमंडल के कुर्मी /पटेल ने ओमप्रकाश सिह ने की महत्व पुर्ण भुमिका निभाया था। वर्तमान विधान सभा चुनाव मे गैर यादव पिछडा और गैर चमार दलितों ने भाजपा को जैसा झूम कर मतदान किया है उस समर्थन को और अधिक पक्का करने के लिये एक बार फिर राजनाथ सिह के पिछडे और अतिपिछडे तथा दलित और अतिदलित के आरक्षण फार्मुले को अमल मे लाने माँग अन्दर ही अन्दर जोर पकडने लगी है।
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