गाजीपुर-डा बी.के. यादव ने गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को दी जाने वाली चिकित्सकीय जानकारी साझा करते हुए बताया कि जब कोई भी महिला जब गर्भ धारण करती है तो उसके मन में एक प्रश्न बार बार आता है कि हम खुद को कैसे सुरक्षित रखे और होने वाले बच्चे को कैसे सुरक्षित रखेगे।गर्भावस्था के समय और प्रस्वावस्था के बाद नवजात सुरक्षित रहे इसके लिये समय समय पर परीक्षण किसी अच्छे डाक्टर से करवाते रहना चाहिये।गर्भवती महिला को तीसरे महीने,पांचवे महीने एवं नौवें महीने में सोनोग्राफी करवाना चाहिये।तथा ब्लड प्रेशर,वजन,पैर में सूजन,चेहरे का पीलापन,ब्लड ग्रुप,ब्लड सुगर,बी.डी.आर.एल, एच.आई.वी.,एचबी एस एजी,पेशाब की जांच,हिमोग्लोबिन का परीक्षण समय समय पर करवाते रहना चाहिये।समय के अनुसार पेट का बढ़ना(यूरेटस की उंचाई का बढ़ना)फीटल हर्ट साउन्ड का 6 महीने में सुनाई देना,बच्चे का हिलना इत्यादि को ध्यान में रखा जाना चाहिये।अगर इस प्रकार की कोई कमी मिलती है तो तुरन्त महिला रोग विशेषज्ञ डाक्टर से परामर्श लेना चाहिये।गर्भावस्था के समय में वेजाइनल रक्त स्राव का होना अत्यन्त खतरनाक होता है।इस स्थिति में भी डाक्टर से तुरन्त परामर्श लेना आवश्यक होता है।अगर कोई महिला किसी रोग जैसे अत्यधिक खून की कमी,सुगर रोग से ग्रसित,हाई ब्लड प्रेशर,हृदय रोग या थायराइड रोग से ग्रसित हो तो इनका विशेष ध्यान रखना चाहिये।तथा डाक्टर के परामर्श के अनुसान रोग से सम्बन्धित दवा का नियमित सेवन करना चाहिये।गर्भावस्था के दौरान टिटेनस टाक्साइड का टीका,फोलिक एसीट,कैल्शियम,विटामिन, आयरन की गोली का प्रयोग चिकित्सक की परामर्श के अनुसार लेना चाहिये।
विशेष देख-रेख में- संतुलित आहार,दूध,दाल,अण्डा,हरी सब्जी,फल का प्रयोग करना चाहिये।व्यायाम के रुप में सिर्फ चलना,आठ घण्टे तक सोना तथा जननांग की साफ-सफाई रखना चाहिये।गर्भावस्था के प्रथम तीन महीने तथा अन्तिम दो महीने लम्बा सफर नही करना चाहिये।अगर यदि कब्ज बनता है तो चिकित्सक को बताये तथा पेट पर निशान न बने इसके लिये भी चिकित्सक से परामर्श लेते रहना चाहिये।बच्चा पैदा होने के बाद नवजात को डाक्टर को तुरंत दिखाकर ही घर ले जाना चाहिये।ठण्ड से बचने के लिये नवजात को विशेषकर ऊनी वस्त्र में ही लपेटकर रखना चाहिये। रिपोर्टर-अरविंद यादव
डॉ बी के यादव (जखनिया)
जनरल फिजीशियन
बी.ए.एम.एस.- एमडी (एन एम)
बी.एच.यू.