सरकारी किराए मे भी चाहिए इन्हें आधा हिस्सा

गाजीपुर- सरकारी विभागों में किस कदर भ्रष्टाचार व्याप्त है इसका अगर आपको नमूना देखना हो तो ICDS यानि समन्वित बाल विकास परियोजना के कार्यालयों में देखा जा सकता है । अब तक सीडीपीओ और सुपरवाइजर पुष्टाहार की प्रति बोरी 50 रुपए लेती थी । हांटकुक के पैसे में भी आधा पैसा सीडीपीओ और सुपरवाइजर ले लेती थी ।आडिट के नाम पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का शोषण तो आम बात है, लेकिन आंगनवाड़ी केंद्रों का जो किराया मकान मालिकों को मिलता है , उस सरकारी किराए के पैसे में भी सीडीपीओ और सुपरवाइजर मैडम को आधा चाहिए। कुछ आंगनवाड़ी केंद्र किराए के मकान में चलते हैं , मकान मालिकों से भी सीडीपीओ मैडम को किराए का आधा चाहिए। कुछ आंगनवाड़ी केंद्र प्राथमिक विद्यालयों में चलते हैं तो वहां पर किराए का कोई सवाल ही नहीं उठता।कुछ आंगनवाडी केंद्र, आंगनवाडी कार्यकर्ताओं के घर पर चलते हैं। शहर मे केन्द्र का किराया 700 रूपया और देहात मे किराया 200 रूपया प्रति माह है। जब मकान मालिक या अपने घर पर केन्द्र चलाने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ति किराया मे आधा देने से इनकार कर देती है तो सीडीपीओ उससे केन्द्र चलाने के लिए किराये का दुशरा मकान ढुढने का दबाव बनाती है। आंगनबाडी केंद्र के किराए का शाल मे एक बार भुगतान होता है। गाजीपुर शहर परियोजना की तमाम आंगनबाडी कार्यकरताओं ने नाम नहीं लिखने की शर्त पर , गाजीपुर टुडे के एडमिन से इस सच्चाई की पुष्टि किया है।