गाजीपुर-विभागीय भ्रष्टाचार से त्रस्त आशाओं का दर्द न जाने कोई-गाजीपुर टुड़े

गाजीपुर-गांवों में बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने में अहम किरदार निभाने वाली आशा कार्यकर्ता भी भावी सरकार को लेकर काफी आशान्वित हैं। बेशक इनकी पूर्ववर्ती दशा में सुधार हुआ है, लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह नाकाफी ही है। ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा की रीढ़ माने जाने वाली इन आशा कार्यकर्ताओं के मानदेय में सरकार ने बढ़ोत्तरी तो कर दिया, लेकिन आशा कार्यकर्ता इससे खुश नहीं हैं। टीकाकारण से लगायत जननी सुरक्षा योजना जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं को सफल बनाने के लिए दिन-रात काम करने वाली आशा कार्यकर्ता सरकार की तरफ अपेक्षा भरी नजरों से देख रही हैं। हालांकि केंद्र व प्रदेश सरकार के प्रयासों को सराहने में भी ये पीछे नहीं हैं, लेकिन 2200 रुपये के निश्चित मानदेय और प्रत्येक निष्पादन पर अलग से प्रोत्साहन राशि की व्यवस्था होने के बाद भी इन लोगों को अल्प मानदेय का दर्द सता रहा है। आरोप है कि आशा कार्यकर्ताओं पर जिम्मेदारियों का बोझ तो बढ़ा दिया गया, लेकिन उसकी तुलना में मानदेय में इजाफा नहीं हो सका है। गुरुवार को गाजीपुर शहर से 45 किलोमीटर दूर सादात ब्लाक के हुरमुजपुर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर आशा कार्यकर्ताओं की चुनावी चौपाल आयोजित की गई। इसमें आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार की नीतियों व प्रयासों को सराहा तो दूसरी ओर कार्य के अनुरूप मानदेय नहीं देने का आरोप भी लगाया। कहा कि डिलेवरी, टीकाकरण, महिला नसबंदी, पुरुष नसबंदी, गांव का सर्वे, जन्म-मृत्यु पंजीकरण, एचबीएनसी के अलावा पियर एजुकेटर तथा किशोरियों को प्रेरित करने पर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि काफी कम है। ऐसे में परिवार पालना मुश्किल है अगर पैसे बढ़ जाते तो कुछ तो राहत मिलती। कहा कि हमसे ज्यादा तनख्वाह तो सफाई कर्मियों को दिया जाता है जिनका काम न के बराबर है।