ग़ाज़ीपुर

गाजीपुर: जीवन-मुक्ति के लिए मनुष्यत्व,मुमुक्षुत्व और महापुरूषसंश्रय आवश्यक है -माधव कृष्ण

गाजीपुर:मानवता अभ्युदय महायज्ञ के दूसरे दिन श्री गंगा आश्रम बएपुर देवकली द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला में साहित्यकार माधव कृष्ण ने आदि शंकर द्वारा रचित विवेक चूड़ामणि पर अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि परमहंस बाबा गंगाराम दास जीवनमुक्ति के पक्षधर थे। जीते जी मुक्त होने के लिए मनुष्य को आज से ही संकल्प नीला चाहिए कि वह उस हर चीज से मुक्त हो जाएगा जो अनात्म, अपवित्र और अनित्य है। जीवनमुक्ति के लिए मनुष्यत्व, मुमुक्षुत्व और महापुरुषसंश्रय आवश्यक हैं।

जो आजीवन सत्य न्याय धर्म का पालन कर सके, वहीं मनुष्य कहलाने का अधिकारी है। जिसके अंदर मुक्त होने की इच्छा हो वह मुमुक्षु कहा जाता है। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि हजारों हजारों में कोई एक व्यक्ति ही सिद्धि के लिए यत्न करता है। इसलिए संख्या बल नहीं, आत्मबल का ही अध्यात्म में महत्व है। इस आत्मबल से ही मुक्ति की यात्रा होती है।

महापुरुषसंश्रय मिलने से मनुष्यता की यात्रा सुगम हो जाती है। परमहंस बाबा गंगाराम दास जी जैसे महामना उस बड़ी जहाज की तरह होते हैं जिसमें बैठकर हजारों लोग एक साथ भवसागर से पार हो जाते हैं। आवश्यकता है तो केवल श्रद्धा के द्वारा ऐसे सदगुरु के वचनों पर चलने की।

बापू जी ने कहा कि, भक्त भवबंधन को काटता नहीं है क्योंकि उसका काम केवल भगवन्नाम और भगवदप्रेम है। ज्ञानी भव बंधन काटता है लेकिन भक्त भगवान के साथ प्रेम में मगन होकर उनकी लीला में सहायक बनता है और रस पाता है। जीव तब तक सुखी नहीं हो सकता जब तक वह अज्ञान के अंधकार को दूर नहीं करता क्योंकि अज्ञान में गांठें नहीं खुलतीं, बल्कि उलझ जाती हैं। इसे सुलझाने का नाम ही भक्ति और अध्यात्म है।

दूसरे दिन के यज्ञ, मानस पारायण, सत्संग का समापन सदगुरु प्रार्थना, ईश्वर विनय और सार्वजनिक भोजन प्रसाद के वितरण से हुआ।