लखनऊ। 1 जुलाई 1947 को आजादी वाले साल से महीने भर पहले जन्मे शरद यादव की पहचान बिहार की सियासत से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में रही है। मध्यप्रदेश के होशंगाबाद के बंदाई गांव के एक किसान परिवार में उनका जन्म हुआ था और वह छात्र राजनीति से सियासत में एंट्री करने वाले नेताओं में से एक थे। शरद यादव ने पहले मध्य प्रदेश, फिर उत्तर प्रदेश और फिर बिहार में अपना राजनीतिक परचम लहराया था। देश के समाजवादी नेताओं के तौर पर उनकी भी गिनती होती रही है।उनकी जयन्ती के अवसर पर याद करते हुए भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता लौटन राम निषाद ने कहा कि शरद यादव जी सामाजिक न्याय के महान योद्धा एवं अंध विश्वास, पाखंड के कट्टर विरोधी थे। मण्डल कमीशन की सिफारिश को लागू कराकर ओबीसी को सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण कोटा दिलाने में अहम भूमिका रही।ये एक ऐसे राजनेता थे जो जबलपुर (मध्यप्रदेश), बदायूं (उत्तर प्रदेश) और मधेपुरा (बिहार) से सांसद निर्वाचित हुए।शरद यादव जी खांटी समाजवादी, सादगी की प्रतिमूर्ति थे।
निषाद ने बताया कि साल 1971 में शरद यादव ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान राजनीति से जुड़ गए थे। वो जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए थे। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, एचडी देवगौड़ा और गुरुदास दासगुप्ता के साथ की थी। वह लोहिया के विचारों से प्रभावित थे और इसी प्रभाव में कई आंदोलनों में भी शामिल रहे। साल 1974 उनके राजनीतिक करियर का अहम साल रहा। वह पहली बार 27 वर्ष की उम्र में जबलपुर से सासंद चुने गए।
साल 2012 में संसद में उनके बेहतरीन योगदान के लिए उन्हें ‘उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार 2012’ से नवाजा गया।आज शरद यादव नही हैं, लेकिन राजनीति में उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता लौटनराम निषाद ने बाबु राम नरेश यादव के व्यक्तित्व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल, सांसद, राज्यसभा सदस्य, विधायक रहते हुए अपने गृह जनपद आमगढ़ को देश में अलग पहचान दिलाए थे। आपका जन्म 1 जुलाई 1928 में एक किसान परिवार में हुआ था। आप ईमानदारी और सादगी की मिशाल थे।छेदीलाल साथी एडवोकेट के परामर्श पर बाबू राम नरेश यादव जी ने उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री रहते 20 अगस्त 1977 को पिछड़ी जातियों को 15 प्रतिशत आरक्षण का शासनादेश जारी किए।उन्होंने काम के बदले अनाज योजना, साढ़े तीन एकड़ जमीन की लगान माफ, किेसानों को भूमिधर बनाना, अनुसूचित जाति के लोगों को बगैर जमानत 5000 ऋण सुविधा, खाद पर 50 फीसद की सब्सिडी, पिछड़े वर्ग के छात्रों को हाईस्कूल से एमए तक की शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति सहित तमाम योजनाओं का संचालन किया। इसके बाद कांग्रेस से जुड़े तो 26 अगस्त 2011 को मध्य प्रदेश के गर्वनर बने। 22 नवंबर 2016 को 89 वर्ष की उम्र में पीजीआइ लखनऊ में इलाज के दौरान आपने अंतिम सांस ली।
