गाजीपुर-“वो जो कहता है वह कर दो वह मेरा चेला है” यह कड़क आवाज माफिया मुख्तार अंसारी की थी,जिसने बेसिक शिक्षा विभाग के एक छोटे करिंदे के लिए तत्कालीन डीआईओएस रामकरण यादव को फोन किया था। फोन आने की जानकारी होने के बाद विभाग के लोग समझ गए कि मुख्तार अंसारी के नाम का सिक्का अपराध जगत में ही नहीं बल्कि उसके उनके विभाग में भी चलता है।उस वक्त जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में एक उर्दू अनुवादक के पद पर बैठे परवेज जमाल की तूती बोलती थी।मुख्तार का खास चेला होने की वजह से कोई भी अधिकारी परवेज जमाल से पंगा लेने की जहमत नहीं करता था। विभाग के अन्य कर्मचारी तो परवेज की जी हजूरी करते थे।उर्दू अनुवादक के पद पर नियुक्त परवेज जमाल यह तो नहीं पता कि कितने पत्रो का अनुवाद किया लेकिन मान्यता की टेबल की खुलेआम डिलिंग परवेज जमाल करता था। लंबे समय तक विभाग में मान्यता की डीलिंग कर उसने करोड़ों कमाए। कई अधिकारी आए और चले गए, कई सरकारें आई और चली गई लेकिन कोई भी उसका बाल बांका नहीं कर सका।यह दिगर है कि यूपी मे योगी सरकार मे कुछ माह पूर्व उसका स्थानांतरण वाराणसी जेडी ऑफिस में हो गया और मजबूरी में उसे वहां नौकरी करने के लिए जाना पड़ा।वर्ष 1995 में सपा सरकार के दौरान जिले के बहादुरगंज इलाके का रहने वाला परवेज जमाल बेसिक शिक्षा विभाग मे उर्दू अनुवादक के पद पर तैनात हुआ था। कुछ ही दिन बाद मुख्तार अंसारी की मेहरबानी से वह मान्यता के टेबल की डीलिंग करने लगा था ।इस दौरान उसके खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो गई। इसी दौरान वर्ष 2012 में जांच का जिम्मा तत्कालीन डीआईओएस रामकरण यादव को सौंपी गई। जांच में काफी गड़बड़ी थी ऐसे में परवेज जमाल का फंसना तय था फिर उसने अपने गुरु को याद किया और उसके गुरु मुख्तार अंसारी ने आगरा जेल डीआईओएस को फोन करके कहा की वह जो कहता है कर दो मेरा चेला है।इसके बाद कोई भी समझ सकता है कि आगे क्या हुआ होगा। विभागीय सूत्रों के अनुसार वर्ष 2012 में ही मुख्तार के दम पर परवेज़ जमाल ने तत्कालीन बीएसए नंदलाल सिंह से भी पंगा ले लिया था। बीएसए में पंगा लेने के दौरान उसकी पूरी कलई खुलने लगी। ऐसे में उसने दोबारा मुख्तार अंसारी से बीएसए को फोन कराया। इसके बाद क्या हुआ होगा यह कोई भी सोच समझ सकता है। कुल मिलाकर विभाग में परवेज की तूती बोलती थी। विभागीय सूत्रों के अनुसार जबतक वह यहां नौकरी में रहा उसके सामने कोई गुस्ताखी करने की जुर्रत नहीं करता। यह दिगर है की योगी सरकार मे उसे यहां से जाना पड़ा लेकिन जब तक मुख्तार अंसारी की छत्रछाया उसके सर पर थी तब तक उसकी पीठ मे धूल लगाने वाला कोई नहीं था। मुख्तार का चेला परवेज़ विभागीय जांच की आंच से तनिक भी नहीं घबराता था। उसे पता था कि उसके पीछे किसका हाथ है। विभागीय सूत्रों के अनुसार योगी सरकार में जब उसके खिलाफ जांच की आग धड़कने लगी तो उसने मान्यता का टेबल छोड़ने मे ही भलाई समझा। इसके बाद उसका स्थानांतरण हो गया। विभागीय सूत्रों के अनुसार मान्यता की टेबल को छोड़ने के बाद भी परवेज के ब्लैक मनी का खेल बंद नहीं हुआ। भले ही वह इस जिले मे कार्यरत नहीं है फिर भी यहां मान्यता की फाइलों को पास कराने का जिम्मा उसने अपने खास चेले को दे रखा है। सूत्रों के अनुसार परवेज़ का चेला भी बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक के पद पर कार्यरत है और वर्तमान में शिक्षा क्षेत्र मनिहारी के किसी स्कूल में तैनात है।लेकिन किसी भी मान्यता का काम उसके बिना पूरा नहीं होता है। ऑनलाइन से लेकर धन वसूली का पूरा काम परवेज़ का चेला ही करता है। विभागीय सूत्रों के अनुसार परवेज़ जमाल के यहां से स्थानांतरित होने के बाद विभाग के अधिकारियों ने एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को प्रमोट कर मान्यता के टेबल का इंचार्ज बना दिया लेकिन इंचार्ज साहब जब आप मिलेंगे तो वह सिधे आपको परवेज के चेला के पास भेज देगें।मान्यता का सब काम परवेज़ का चेला मास्टर जी ही करता है। मास्टर जी चाहेंगे तो मान्यता मिलेगी वरना फाइल लेकर आप घूमते रहिए। दोबारा जिले में आने के लिए परवेज़ हाथ पैर मार रहा है । साभार-डीएनए
