Ghazipur news:इतनी अच्छी है नई पेंशन स्कीम तो जनप्रतिनिधि खुद क्यों नहीं लेते

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गाजीपुर। महासंघ के प्रान्तीय अध्यक्ष रामलाल यादव का आगमन शुक्रवार को जिला पंचायत सभागार मे हो रहा है। जिसको लेकर पदाधिकारी अपनी तैयारियां पूरी कर चुके हैं। जिला इकाई का चुनाव और पुनर्गठन भी किया जाना है। वही जिला संयोजक बालेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि जिला पंचायत सभागार में ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित होगा। जिसमें हजारों कर्मचारियों की उपस्थिति होगी। कार्यक्रम में पूर्व और निवर्तमान पदाधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया है। मंगलवार को भी विभिन्न कार्यालयों का भ्रमण के दौरान कर्मचारियों को बताया जा रहा है कि केन्द्र और राज्य सरकार पुरानी पेंशन नीति बहाली को तैयार नहीं है। कर्मचारी अपने अधिकारों के लिए सचेत हो, पुरानी पेंशन नीति लागू करने की मांग को लेकर चरणबद्ध ढंग से आन्दोलन चलाया जाएगा। 2023 में पुरानी पेंशन बहाली की जोरदार मांग की जाएगी, आवश्यकता पड़ेगी तो कर्मचारी सड़क पर भी उतरने को मजबूर होंगे। जिला पंचायत सभागार में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचने की अपील करते हुए कहा कि सरकार ने कर्मचारियों पर थोपी एनपीएस थोपकर गलत किया है। कर्मचारी पर जिम्मेदारियां पहले से अधिक बढ़ी है, लेकिन अधिकार लगातार छीने जा रहे हैं। बुढ़ापे की लाठी पेंशन का लाभ हासिल करने के लिए बिना आंदोलन हासिल नहीं होगा। कर्मचारियों को जागरूक करते हुए बताया जा रहा है कि केन्द्र और राज्य सरकार पुरानी पेंशन नीति बहाली को तैयार नहीं है। कर्मचारी अपने अधिकारों के लिए सचेत हो, पुरानी पेंशन नीति लागू करने की मांग को लेकर चरणबद्ध ढंग से आन्दोलन चलाया जाएगा। 2023 में पुरानी पेंशन बहाली की जोरदार मांग की जाएगी, आवश्यकता पड़ेगी तो कर्मचारी सड़क पर भी उतरने को मजबूर होंगे।
जनप्रतिनिधियों को नई पेंशन स्कीम इतनी ही अच्छी लग रही है तो अपने ऊपर लागू कर लें। विधायक और सांसद खुद पुरानी पेंशन रहे हैं। कर्मचारियों पर नई पेंशन स्कीम थोपी गई है। जब तक मांगें पूरी नहीं होगी वे पीछे नहीं हटेंगे। राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड व पंजाब में पुरानी पेंशन नीति बहाल हो चुकी है। राज्य कर्मचारीयों को केन्द्र की भांति भत्ते, पंडित दीन दयाल उपाध्याय कैसलेश सुविधा, बाबुओं का वेतन विसंगति दूर करने, रसोईया को राज्य कर्मचारी का दर्जा देने, संविदा कर्मियों को समायोजित करने, आशा बहुओं, पीआरडी, आगनबाड़ी, ग्रामीण चौकीदार, आदि को न्यूनतम 24000 एवं राज्य कर्मचारी का दर्जा देने के साथ ही चतुर्थ श्रेणी की नियुक्ति खोलने की मांगों को लेकर कार्यक्रम में मंथन किया जायेगा।गाजीपुर मे महासंघ के पुनः सक्रिय होते ही अन्य संगठनों में उपेक्षित कर्मचारी अपने लिए महासंघ में घर तलाश रहे हैं। उधर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के दोनों गुटों में बीते कई सालों से कुर्सी पर जमे मठाधीशों को अपनी कुर्सी जाती हुई नजर आ रही है। मालूम हो कि जिले में कर्मचारी संगठनों और शिक्षकों की संख्या 25 हजार से अधिक है। स्व.डीएन लिए सिंह के समय में अधिकांश कर्मचारी एकजुट हो गए थे। जिससे अधिकारियों में भी दहशत होता था।महासंघ सूप्रीमो रामलाल यादव के अतिरिक्त पदम् नाथ द्विवेदी, उमेश चन्द्र श्रीवास्तव, गौरव सिंह के अलावा अन्य प्रदेश के पदाधिकारी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे।

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