Ghazipur news:गुरूदेव की जयंती पर लोगों ने किया नमन्
गाजीपुर-07 मई को महान विभूति, राष्ट्रगान रचयिता व नॉबेल पुरुस्कार से सम्मानित रविंद्र नाथ टैगोर जी की जयंती के साथ ही जीवन रक्षक फाउण्डेशन का द्वितीय स्थापना दिवस भी मनाया गया। इस अवसर पर गोरबाज़ार स्थित रविन्द्र नाथ टैगोर पार्क में उक्त संस्था के सदस्यों एवं अन्य स्थानीय लोगों द्वारा उनके आदम प्रतिमा पर पुष्पवृष्टि व माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा–सुमन अर्पित करने के साथ ही टैगोर जी के सम्मान में राष्ट्रीय नारों के उद्घोष किये।
इसके उपरांत जीवन रक्षक फाउण्डेशन के संस्थापक व अंतरराष्ट्रीय सम्मान ‘रक्तनायक अवार्ड’ से सम्मानित श्री शीर्ष दीप शर्मा जी द्वारा उनके निवास स्थान के निकट उक्त पार्क के जीर्णोद्धार को लेकर मौजूद संस्था के सदस्यों में गोष्ठी कर इस पर विस्तृत चर्चा की गई। जिसके फलस्वरूप रविन्द्र नाथ टैगोर पार्क के जीर्णोद्धार को अमली जामा पहनाने की बात पर सर्वसम्मति से संस्था द्वारा मोहर लगाई गई।
इस मौके पर पत्रकार वार्ता में शीर्षदीप जी ने बताया कि “जीवन रक्षक फाउंडेशन, गाजीपुर के द्वितीय स्थापना दिवस पर मैं शीर्ष दीप शर्मा आप सभी सदस्यों को बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूँ। क्योंकि 7 मई 2021 को कोरोना काल जैसी विकट परिस्थिति में जहां लोग चिकित्सकीय व अन्य स्वास्थ्य सेवा के लिए जूझ रहे थे। ऐसे में ब्लड और प्लेटलेट्स की कमी को देख कर मात्र 19 लोगों के एक छोटे से व्हाट्सएप ग्रुप से संस्था की शुरुआत हुई परन्तु आज 9 अलग अलग ग्रुपों में कुल 577 सदस्यों की संस्था में जुड़कर सभी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। आप सभी ने 2 वर्षो से लगातार असहाय व जरूरतमंदों की मदद कर संस्था को आज इस मुकाम तक पहुँचाया है जिसके प्रति मैं आप सभी का धन्यवाद ज्ञापित करता हूं। संस्था के हर एक सदस्य ने 1300 यूनिट से अधिक रक्तदान, पशु सेवा, भोजन वितरण, कम्बल वितरण आदि सेवा कार्यों में अपनी यथाशक्ति व तन मन धन से सहयोग किया है। मुझे आशा नही पूर्ण विश्वास है कि हम सभी का साथ ऐसे ही बना रहेगा और असहाय व जरूरतमंदों को ऐसे ही सेवाएं मिलती रहेगी। आज इस पुनीत अवसर पर एक और बात मैं आप सभी से साझा करना चाहता हूँ की नगर के लगभग सभी पार्कों का जीर्णोद्धार हो चुका है मात्र यही पार्क बदहाली से जूझ रहा है विगत कुछ महीनों से मेरे मन में यह विषय कौतूहल बना रहा की क्यों न इस पार्क का भी कायाकल्प किया जाय, बस तभी से मैं मन, वचन और कर्म से इस दिशा में प्रयासरत हूँ और मेरे सभी सदस्य व साथी गण भी पूरी ततपरता व तनमयता से मेरे साथ हैं, जिनका मैं आभारी हूँ क्योंकि इनके सहयोग के बिना यह संस्था अधूरी है।